Book Title: Madhyam vrutti vachuribhyamlankrut Siddhahemshabdanushasan Part 02
Author(s): Rajshekharvijay
Publisher: Shrutgyan Amidhara Gyanmandir
________________ सूत्राणामकाराद्यनुक्रमणिका ] मध्यमवृत्त्यवचूरिसंवलितम्। [573 वम्यविति वा / 4 / 2 / 87 // / वहल्यूपिदि-नण् / 6 / 314 // | वाऽन्तमाऽन्ति-षद् / 7 / 4 / 31 // वयःशक्तिशीले / 5 / 2 / 24 / / वाः शेषे / 1 / 4 / 82 // वान्यतः पुमान्-रे / 1 / 4 / 6 / / षयसि दन्त-तृ। 7 / 3 / 151 / / | वाऽकर्मणा-णौ। 2 / 2 / 4 // | वान्येन / 6 / 1133 // वयस्यनन्त्ये / 2 / 4 / 21 // वाकाङ्क्षायाम् / 5 / 2 / 10 // वापगुरो णमि। 4 / 2 / 5 // वराहादेः कण् / 6 / 2 / 95 // वाक्यस्य परिर्वर्जने / 71488 वा परोक्षायक्छि। 4 / 1 / 90 / / वरुणेन्द्र-न्तः / 2 / 4 / 62 / / वाऽऽक्रोशदेन्ये / 4 / 2 / 75 // वा पादः / 2 / 4 / 6 // वर्गान्तात् / 6 / 3 / 128 // वा क्लीबे।२।२।९२॥ वाऽऽप्नोः / 4 / 3 / 87 // वर्चस्कादिष्व-यः। 3 / 2 / 48 // वाऽक्षः / 3 / 4 / 76 / / था बहुव्रीहेः / 2 / 4 / 5 // वणेढा -वा।७।१५९॥ वाऽऽगन्तौ / 7 / 3 / 145 // वाभिनिविशः।२।२।२२।। वर्णाद्-णि / 7 / 2 / 69 // / वाग्रान्त-रात् / 7 / 3 / 154 // वाऽभ्यवाभ्याम् / 4 / 1 / 99 // वर्णावकब् / 6 / 3 / 21 // वाच आलाटौ। 7 / 2 / 24 // वामः / 4 / 2 / 57 // वर्णाव्ययात्-रः / 7 / 2 / 156 // | वाच इकण् / 7 / 2 / 168 // वामदेवाद्यः / 6 / 2 / 135 // वर्तमाना-महे / 3 / 3 / 6 / / वाचंयमो व्रते / 5 / 1 / 115 // घामाद्यादेरीनः / 7 / 1 / 4 // वर्तेर्वृत्तं ग्रन्थे / 4 / 4 / 65 / / वाचस्पति-सम् / 3 / 2 / 36 / / / वामशसि / 2 / 1 / 55 // वस्य॑ति गम्यादिः / 5 / 3 / 1 // वा जाते द्विः। 6 / 2 / 137 / / वायनणायनियोः। 6 / 1 / 138 // वय॑ति-ले। 5 / 4 / 25 // वा ज्वलादि-र्णः / 5 / 1 / 62 // वा यष्मद-कम्।६।३।६७|| वर्मणोऽचक्रात् / 6 / 1 / 33 / / | वाञ्जलेरलुकः / 7 / 3 / 101 // वायवृतुपित्रुषसो यः / 62 / 109 / / वर्योपसर्या-ये / 5 / 1 / 32 // वाटाट्यात् / 5 / 3 / 103 / / वारे कृत्वस् / 7 / 2 / 109 / / वर्षक्षर-जे / 3 / 2 / 26 // बाडवेयो वृषे।६।१।८५॥ वार्धाच / 7 / 3 / 103 // वर्षविघ्नेऽवाद् ग्रहः / 5 / 3 / 50 // वाणुमाषात् / 7 / 1 / 82 // वा लिप्सायाम् / 3 / 3 / 61 / / वर्षाकालेभ्यः / 6 / 3 / 80 // वातपित्त-ने।६।४।१५२॥ वाऽल्पे / 7 / 3 / 146 / / वर्षादयः क्लीबे / 5 / 3 / 29 // वातातीसार-न्तः।७।२।६१॥ वावाप्यो-पी।३।२।१५६ / / वर्षादश्च वा।६।४। 111 // वा तृतीयायाः।३।२।३॥ वा वेत्तेः क्वसुः / 5 / 2 / 22 // 'पलच्यपित्रादेः / 3 / 2 / 82 // वातोरिकः।६।४। 132 // वा वेष्टचेष्टः / 4 / 1 / 66 // वलिवटि-भैः / 7 // 2 // 16 // वाऽऽत्मने।३।४। 63 / / वाशिन आयनौ / 7 / 4 / 46 / / पशेरयक्ति / 4 / 1 / 83 // वात्यसंधिः / 1 / 2 / 31 // वाश्मनो विकार।७।४।६३॥ वसातेर्वा / 6 / 2 / 67 // वा दक्षिणात्-आः 7 / 2 / 119 // वा श्रन्थग्रन्थो नलुक् च / 4 / 1 / 27|| वसनात् / 6 / 4 / 138 / वादेश्च णकः / 5 / 2 / 67 // वाश्वादीयः / 6 / 2 // 19 // वसुराटोः / 3 / 2 / 81 // वाद्यतनीक्रिया-र्गीङ्।४।४।२८। / वाष्टन आः स्यादौ / 1 / 4 52 / / वस्तेरेयम् / 7 / 1 / 112 // वाद्यतनी पुरादौ / 5 / 2 / 15 / / वासुदेवाणुनादकः / / 6 / 3 / 207 / / वस्नात् / 6 / 4 / 17 // वाद्यात् / 6 / 1 / 11 // वा स्वीकृतौ। 4 / 3 / 40 // . वहति रथयु-त् / 7 / 1 / 2 // वाद्रौ।२।१।४६॥ वाहनात् / 6 / 3 / 178 // वहाभ्राल्लिहः / 5 / 1 / 123 // वा द्विषातोऽनः पुस / 4 / 2 / 91 / वाहर्पत्यादयः / 1 / 3 / 58 // वहीनरस्यैत् / 7 / 4 / 4 // वाधारेऽमावास्या / 5 / 1 / 21 // वाहीकेषु ग्रामात् / 6 / 3 / 36 / / वहेः प्रवेयः / 2 / 2 / 7 // वा नाम्नि / 1 / 2 / 20 // वाहीकेष्वब्राह्म-भ्यः / 7 / 3 / 63 / / वहेस्तुरिश्चादिः।६।३।१८०॥ वा नाम्नि / 7 / 3 / 159 / / वा हेतुसिद्धौ क्तः / 5 / 3 / 2 // वह्यं करणे।५।१।३४॥ वान्तिके।३।१।१४७॥ . वाह्यपथ्युपकरणे / 6 / 3 / 179 //
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