Book Title: Madhyam vrutti vachuribhyamlankrut Siddhahemshabdanushasan Part 02
Author(s): Rajshekharvijay
Publisher: Shrutgyan Amidhara Gyanmandir

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Page 627
________________ सूत्राणामकारायनुक्रमणिका ] मध्यमवृत्त्यवचूरिसंवलितम् / द पाणिघताडघी-नि / 5 / 189 // | पुञ्जनुषोऽनुजान्धे / 3 / 2 / 13 // / पूरणा दिकः / 6 / 4 // 159 / / पाणिसमवाभ्यां सृजः / 5 / 1118 // पुत्रस्यादि-शे / 1 / 3 / 38 // पूरणीभ्यस्तत्-प् / 7 / 3 / 130 / / पाण्टाहृति-णश्च / 6 / 1 / 104 / / / पुत्राद्येयौ / 6 / 4 / 154 // पूर्णमासोऽण् / 7 / 2 / 55 // पाण्डुकम्बलादिन् / 6 / 2 / 132 // पुत्रान्तात् / 6 / 1 / 111 // पूर्णाद्वा / 7 / 3 / 166 // पाण्डोड्यण / 6 / 1 / 119 // पुत्रे।३।२॥४०॥ पूर्वकालैक-लम् / 3 / 1 / 97 / / पातेः / 4 / 2 / 17 // पुत्रे वा / 3 / 2 / 31 // T--TH / 2 / 3 / 64 // पात्पादस्याह-देः / 7 / 31.138 // पुनरेकेषाम / 4 / 1 / 10 // पूर्वपदस्य वा / 7 / 3 / 45 // पात्राचिता-वा।६।४। 163 / / . पुनभू पुत्र ञ् / 6 / 1 / 39 // पूर्वप्रथमा--ये / 7 / 4 / 77 / / पात्रात्तौ।६।४।१८० // पुमनडु-त्वे / 7 / 3 / 173 / / पूर्वमनेनन् / 7 / 1 / 167 // पात्रेसमि-यः / 3 / 1 / 91 // . पुमोऽशि-रः।१।३।९॥ पूर्वस्याऽस्वे स्वरे० / 4 / 1137 / / पाच्यशूद्रस्य / 3 / 1 / 143 / / पुरंदरभगंदरौ। 5 / 1 / 114 // पूर्वाग्रेप्रथमे / 5 / 4 / 49 // पादाद्योः / 2 / 1 / 28 // पुराणे कल्पे / 6 / 3 / 187 // पूर्वात् कर्तुः / 5 / 1 / 141 // पाद्याये / 7 / 1 / 23 // पुरायावतवित्तमाना। 5 / 3 7 // / पूर्वापरप्र--रम् / 3 / 1 / 103 // पानस्य भावकरणे।२।३।६९॥ पुरुमगधकलिङ्ग-दण / 6 / 2116 / / ना।३।१ / 52 // पापहीयमानेन। 7 / 2 / 86 // पुरुषः स्त्रिया / 3 / 1 / 126 // / पूर्वापरा-द्युस् / 7 / 2 / 98 // पारावारं-च। 7 / 1 / 101 // पुरुषहृदयादसमासे / 7 / 1 / 70 // पूर्वावराध--पाम् / 7 / 2 / 115 / / पारावारादीनः / 6 / 3 / 6 // पुरुषात् कृत-या / 6 / 2 / 29 / / पूर्वाला-नट् / 6 / 3 / 87 // पारेमध्ये-बा।३।१।३० / / पुरुषाद्वा / 2 / 4 / 25 / / पूर्वाह्न-कः / 6 / 3 / 102 // पार्थादिभ्यः-कः / 5 / 1 / 135|| पुरुषायु-बम् / 7 / 3 / 120 // पूर्वोत्तर--क्थ्नः / 7 / 3 / 113 / / पाशाच्छासा-यः / 4 / 2 / 20 // 3 / 2 / 135 // पृथग्नाना--च / 2 / 2 / 113 / / पाशादेश्च ल्यः।६।२।२५ // - पुरोऽग्रतोऽग्रे सर्तेः / 5 / 11140|| पृथिवीमध्यान्-स्य / 6 / 3 / 64 / / पिता मात्रा वा।३।१।१२२।। पुरोडाश-टौ / 6 / 3 / 146 // पृथिव्या बाऽञ्।६।१।१८॥ पितुर्यो वा।६।३। 151 // पुरो नः / 6 / 3 / 86 // पृथिवीसर्व-श्वाञ्। 6 / 4 / 156 / / पितृमातुर्य-र।६।२। 62 // पुरोऽस्तमव्ययम् / 3 / 1 / 7 // पृथुमृदु--रः / 7 / 4 / 39 / / पित्तिथट्-घात् / 7 / 1 / 160 / / पुव इत्रो दैवते / 5 / 2 / 85 // पृथ्वादेरिमन्वा / 7 / 1 / 58 // पित्रोर्डामहट् / 6 / 2 / 63 / / पुष्करादेर्देशे। 7 / 2 / 70 // पृपोइरादयः / 3 / 2 / 155 / / पिबैतिदाभूस्थः-ट् / 4 / 3 // 66 // पुष्यार्थाद् भे पुनर्वसुः / 3 / 1 / 129 / / पृष्ठाद्यः / 6 / 2 / 2 // पिठात् / 6 / 2 / 53 / / पुस्पौ / 4 / 3 / 3 // पभमाहाकामिः / 4 / 1 / 58 / / पीलासाल्वा-द्वा।६।१।६८ // पूगादमुख्य-द्रिः / 7 / 3 / 60 // पैङ्गाक्षीपुत्रादेरीयः / 6 / 2 / 102 / / पील्वादे:-के।७।१८७॥ पूक्लिशिभ्यो नवा / 4 / 4 / 45 // / पैलादेः / 6 / 1 / 142 // पुनाम्नि घः।५ / 3 / 130 // पूयजेः शानः / 5 / 2 / 23 // पोटायुवति--ति / 3 / 1 / 111 // पुवत् कर्मधारये / 3 / 2 / 57 // पूजाचार्यक-यः / 3 / 3 / 39 // पौत्रादि वृद्धम् / 6 / 1 / 2 // पुसः / 2 / 3 / 3 // पूजास्वतेः प्राक् टात् / 7 / 3 / 72 / / प्यायः पीः / 4 / 1 / 91 // पुसोः पुमन्स् / 1 / 4 / 73 / / पूतक्रतुवृषा- च / 2 / 4 / 60 // प्रकारे जातीयर / 7 / 275 / / पुत्रियोः -स् / 1 / 1 / 29 // पदिव्यञ्चे-ने।४।२ / 72 // प्रकारे था। 7 / 2 / 102 // पुच्छात् / 2 / 4 / 41 / / पूरणाद् ग्रन्थ-स्य / 7 / 1 / 176 / / प्रकृते मयट् / 7 / 3 / 1 // पुच्छादुत्परिव्यसने / 3 / 4 / 39 / पूरणाद्वयसि / 7 / 2 / 62 // / प्रकृले तमप् / 7 / 3 / 5 //

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