Book Title: Madhyam vrutti vachuribhyamlankrut Siddhahemshabdanushasan Part 02
Author(s): Rajshekharvijay
Publisher: Shrutgyan Amidhara Gyanmandir
________________ मीसिद्धहेमशब्दानुशासन [ सूत्राणामकाराद्यनुक्रमणिका . पक्षिमत्स्य-ति / 6 / 4 / 31 // पदेऽन्तरेऽना-ते। 2 / 3 / 63 / / परेः सृचरेर्यः / 5 / 3 / 102 // पचिदुहेः / 3 / 4 / 87 // पदोत्तरपदेभ्य इकः / 6 / 2 / 125 // | परेघः / 5 / 3 / 40 / / पञ्चको वर्गः। 1 / 1 / 12 // | पद्धतेः / 2 / 4 / 33 / परे_योगे।२।३।१०३॥ पञ्चतोऽन्यादे-दः / 1 / 4 / 58 // पन्ध्यादेरायनण् / 6 / 2 / 89 // परेदेविमुहश्च / 5 / 2 / 65 // पञ्चदशद्वर्गे-वा / 6 / 4 175 / / पयोद्रोर्यः / 6 / 2 / 35 // परेछूते / 5 / 3 / 63 / / पञ्चमी-आमहैव / 3 / 3 / 8 // परः / 7 / 4 / 118 // वपाति / 6 / 4 / 29 // पश्चमी भयाद्यः।३।१।७३ / / परःशतादि / 3 / 1 / 75 // परेमृ षश्च / 3 / 3 / 104 // पञ्चम्यपादाने / 2 / 2 / 69 // परजनराज्ञोऽकीयः / 6 / 3 / 31 / / परे वा। 5 / 4 / 8 // पञ्चम्यर्थहेतौ / 5 / 3 / 11 // परतः स्त्री पुंवत्-।३।२।४९।। परोक्षा-महे / 3 / 3 / 12 // पञ्चम्याः कृग् / 3 / 4 / 52 // परदारादिभ्यो गच्छति / 6 / 4 / 38 परोक्षायां नवा।४।४।१८ / / पञ्चम्या त्वरायाम् / 5 / 4 / 77 // परशव्याघलुक् च / 6 / 2 / 40 / / परोक्षे।५।२।१२।। पश्चम्या नि-स्य / / 4 / 104 // परश्वधाद्वाऽण् / 6 / 4 / 63 // परोपात् / 3 / 3 / 49 // पश्वसर्व-ये / 7 / 1 / 41 // परस्त्रियाः प-यें।६।१।४०॥ / परावरीण-णम् / / 1 / 99 // पणपादमाषाद्यः / 6 / 4 / 148 // / परस्परान्योन्येत-सि / 3 / 2 / 1 / / पर्णकृकणात्-जात् / 6 / 3 / 62 / / पणेर्माने / 5 / 3 / 32 // पराणि कानान-दम् / 3 / 3 / 20 / / | पोदेरिकट / 6 / 4 / 12 // पतिराजान्त-च / 7 / 1 / 60 // परात्मभ्यां H / 3 / 2 / 17 // पर्यधेर्वा / 5 / 3 / 113 / पतिवल्यन्त-ण्योः / / 4 / 5 / / परानोः कृगः / 3 / 3 / 101 / / पर्यनोामात् / 6 / 3 / 138 / पत्तिरथौ गणकेन / 3 / 1179 // परावरात्स्तात् / 7 / 3 / 116 / / पर्यपाङ-क्या / 3 / 1 / 32 // पत्युनः / 2 / 4 / 48 // परावराधमो-यः / 6 / 3 / 76 / / पर्यपात् स्खदः / 4 / 2 / 27 / / पत्रपूर्वाद / 6 / 3 / 177 // परावरे / 5 // 4 // 45 // पर्यपाभ्यां वये। 2 / 2 / 71 // पथ इकट् / 6 / 4 / 88 // परावेर्जेः / 3 / 3 / 28 // पर्यभेः सर्वोभये / 7 / 2 / 83 / / पथः पन्थ च / 6 / 3 / 103 / / परिक्रयणे।।२।६७॥ पर्यायाईणोत्पत्तौ०। 5 / 3 / 120 // पथिन्मथिन्-सौ।१।४।७३|| परिक्लेश्येन / 5 / 4 / 80 // पर्वतात् / 6 / 3 / 60 // पथोऽकः / 6 / 3 / 96 // परिखाऽस्य स्यात् / 7 / 1 / 48 // पर्वा ड्वण / 6 / 2 / 20 // पथ्यतिथि-यण / 7 / 1 / 16 // परिचाय्योप-ग्नौ।५।१।२५। पोदेरण / 7 / 3 / 66 // पदः पादस्याज्या-ते।३।२।९५|| परिणामि-र्थे / 7 / 1 / 44 // पर्षदो ण्यः / 6 / 4 / 47 // पदकल्पल-कात् / 6 / 2 / 119 / परिदेवने / 5 / 3 / 6 // पर्षदो ण्यणौ / 7 / 1 / 18 // पदक्रमशिक्षा-कः / 6 / 2 / 126 / / परनिवेः सेवः। 2 / 3 / 46 // पशुभ्यः-ष्ठः / 7 / 1 / 133 / पदरुजविश-घ / 5 / 3 / 16 // परिपथात् / 6 / 4 / 33 / / पशुव्यञ्जनानाम् / 3 / 1 / 13 // पदस्य।२।१।८९ // परिपन्थात्तिष्ठति च।६।४।३२॥ पश्चात्यनुपदात् / 6 / 4 / 41 // पदस्यानिति बा।७।४।१२॥ परिमाणा-ल्यात् / 2 / 4 / 23 // पश्चादाद्यन्तौ-मः / 6 / 3 / 75 // पदाद्य त्वे / 2 / 1 / 21 // परिमाणार्थ-चः। 5 / 1 / 109 / पश्चोऽपरस्य-ति / 7 / 2 / 124|| पदान्तरगम्ये वा। 3 / 3 / 99 // परिमुखादे-वात् / 6 / 3 / 136 / / / पश्यद्वाग्दि-ण्डे / 3 / 2 / 32 / / पदान्ताट्ट-तेः / 1 / 3 / 63 // | परिमुहायमा-ति / 3 / 3 / 94 // | पाककर्णपर्ण-त् / 2 / 4 / 55 / / पदान्ते। 2 / 1 / 64 / परिव्यवात् क्रियः / 3 / 3 / 27 / / पाठे धात्वादेो नः / 2 / 3 / 97 / / पदास्वैरिबा-हः / 5 / 1 // 44 // | परेः। 2 / 3 / 52 // पाणिकरात् / 5 / 1 / 121 // पदिकः / 6 / 4 / 13 // परेः क्रमे / 5 / 3 / 76 / / / पाणिगृहीतीति / 2 / 4 / 52 //
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