Book Title: Madhyam vrutti vachuribhyamlankrut Siddhahemshabdanushasan Part 02
Author(s): Rajshekharvijay
Publisher: Shrutgyan Amidhara Gyanmandir
________________ सूत्राणामकाराद्यनुक्रमणिका ] . मध्यमवृत्स्यवचूरिसंवलितम्। [569 फलस्य जातौ / 3 / 1 / 135 // / बिल्वकीयादेरी यस्य / 2 / 4 / 93 / / भागिनि च-भिः / 2 / 2 / 37|| फले / 6 / 2 / 58 // ब्रह्मणः / 7 / 4 / 57 / / भागेऽषमाठयः / 7 / 3 / 24 / / फल्गनीप्रो-भे।२।२। 123 / / ब्रह्मणस्त्वः / 7 / 1 / 7 // भाजगोण-शे / 2 / 4 / 30 // फल्गुन्याष्टः / 6 / 3 / 106 // ब्रह्मणो वदः / 5 / 1 / 156 / / भाण्डात्समाचितौ। 3 / 4 / 40 // फेनोष्मबाष्प-ने / 3 / 4 / 33|| ब्रह्म-क्विप। 5 / 1 / 161 / / भादितो वा / 2 / 3 / 27 // बन्धे घबि नवा / 3 / 2 / 23 / / ब्रह्महस्ति-सः / 7 / 3 / 83 // भान्नेतुः / 7 / 3 / 133 // बन्धेर्नाम्नि / 5 / 4 / 67 // ब्रह्मादिभ्यः / 5 / 1 / 85 // भाकर्मणोः / 3 / 4 / 68 // बन्धौ बहुव्रीहौ / 2 / 4 / 84 // ब्राह्मणमाण-द्यः / 6 / 2 / 16 // भावघयो णः / 6 / 2 / 114 / / बलवातदन्त-लः / 7 / 2 / 19 // ब्राह्मणाच्छंसी।३।२।११॥ भाववचनाः। 5 / 3 / 15 // बलवातादूलः / 7 / 1 / 91 // ब्राह्मणाद्वा।६।१।३५ // भावाकोः / 5 / 3 / 18 // बलादेर्यः / 6 / 2. / 86 // ब्राह्मणान्नाम्नि / 7 / 1 / 184 // भावादिमः / 6 / 4 / 21 // बालस्थूले दृढः।४।४।६९ // ब्रुवः / 5 / 1 / 51 / / भावे / 5 / 3 / 122 // बष्कयादसमासे / 6 / 1 / 20 / / ब्रगः पञ्चानां-श्च / 4 / 2 / 118 // | भावे चाशि-खः / 5 / 1 / 130 // बहिषधीकण च / 6 / 1 / 16 // . ब्रतः परादिः / 4 / 3 / 63 // भावे त्वतल / 7 / 1 / 55 // बहुग-दे / 1 / 1 / 40 // भक्ताण्णः / 7 / 1 / 17 // भावेऽनुपसर्गात् / 5 / 4 / 45 / / बहुलं लुप / 3 / 4 / 14 // भक्तौदनाद्वा णिकट / 6 / 4 / 72 / / / भिक्षादेः / 6 / 2 / 10 / / बहुलम् / 5 / 1 / 2 // . भक्षेहिमायाम् / 2 / 2 / 6 // भिक्षासेनाऽऽदायात् / 5 / 1 / 136 / / बहलमन्येभ्यः / 6 / 3 / 109 / / भक्ष्यं हितमस्मै / 6 / 4 / 69 / / भित्तं शकलम् / 2 / 2 / 81 // बहुलानुराधा-लुप् / 6 / 3 / 107 // भजति / 6 / 3 / 204 // भिदादयः / 5 / 3 / 108 // बहुविध्वरु-दः / 5 / 1 / 124 / / भजो विण / 5 / 1 / 146 / / भियो नवा / 4 / 2 / 99 // बहुविषयेभ्यः / 6 / 3 / 45 / / भञ्जिभासिमिदो घुरः / 5 / 2 / 74 // | भियो रुरुकलुकम् / 5 / 276 // बहुव्रीहेः-टः / 7 / 3 / 125 / / भजेबौं वा। 4 / 2 / 48 // | भिस ऐस् / 1 / 4 / 2 // बहुध्वस्त्रियाम् / 6 / 1 / 124 / भद्रोष्णात्करणे।३।२।११६॥ भीमादयोऽपादाने / 5 / 1 // 14 // बहुष्वेरीः / 2 / 1 / 49 // भर्गात् त्रैगर्ते / 6 / 1 / 51 // भीरुष्ठानादयः।२।३। 33 / / बहुस्वरपूर्वादिकः / 6 / 4 / 68 // भतु तुल्यस्वरम् / 3 / 1 / 162 / / | भीषिभूषि-भ्यः / 5 / 3 / 109 / / बहूनां प्रश्न-वा। 7 / 3 / 54 // भर्तुसंन्ध्यादेरण / 6 / 3 / 89 // | भीह्रीभृहोस्तिव्वत् / 3 / 4 / 50 // बहोर्डे / 7 / 3 / 73 // भर्त्सने पर्यायेण / 7 / 4 / 90 // भुजन्युजं-गे। 4 / 1 / 120 // बहोर्णीष्ठे भूय / 7 / 4 / 40 // भवतेः सिजलपि / 4 / 3 / 12 / / भुजिपत्या-ने / 5 / 3 / 128 // बहोर्धासन्ने / 7 / 2 / 112 / / भवतोरिकणीयसौ / 6 / 3 // 30 // | भुजो-भक्ष्ये / 4 / 1 / 117 // बह्वल्पार्था-शस् / 12 / 150 / / भवत्वायु-र्थात् / 7 / 2 / 91 // भुनजोऽत्राणे / 3 / 3 / 37 // बाढान्तिक-दौ / 7 / 4 / 37 // भविष्यन्ती। 5 / 3 / 4 // न्योः / 4 / 2 / 43 / / बाहूर्वादेर्बलात् / 0 / 2 / 66 / / भविष्यन्ती-हे / 3 / 3 / 15 / / | भुवोऽवज्ञाने वा / 5 / 3 / 64 // बाह्वन्तक-म्नि / 2 / 4 / 74 / / भवे / 6 / 3 / 123 // भूकः प्राप्तौ णिङ् / 3 / 4 / 19 / / बाह्वादिभ्यो गोत्रे / 6 / 1 / 32 // भव्यगेयजन्य-नवा। 5 / 1 / 7| भूजेः ष्णुक् / 5 / 2 / 30 // बिडबिरी-च / 7 / 1 / 129 / / भस्रादेरिकट / 6 / 4 / 24 // | भूतपूर्व पचरट / 7 / 2 / 78 // बिदादेवृद्धे / 6 / 1 / 41 // | भागवित्तिता-वा / 6 / 1 / 105 / / | भूतवञ्चाशंस्ये वा / 5 / 4 / 2 // बिभेतीषु च / 3 / 3 / 92 // भागाद्येकौ / 6 / 4 / 160 // | भूते / 5 / 4 / 10 //
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