Book Title: Madhyam vrutti vachuribhyamlankrut Siddhahemshabdanushasan Part 02
Author(s): Rajshekharvijay
Publisher: Shrutgyan Amidhara Gyanmandir
________________ 560 ] श्रीसिद्धहेमशब्दानुशासनं [ सूत्राणामकाराद्यनुक्रमणिका टोस्येत् / 1 / 4 / 19 // धेघ्राशाछासो वा / 4 / 3 / 67 // टधेश्वेर्वा / 3 / 4 / 59 // वितोऽथुः। 5 / 3 / 83 // . डकश्चाष्टाच-णाम् / 6 / 4 / 84|| डनरडतमौ-श्न।७।४।७६॥ डतिष्णः-प् / 1 / 4 / 54 // डत्यतु संख्यावत् / 1 / 1 // 39 // डाच्यादौ / 7 / 2 / 149 // डाचलोहिता-षित् / 3 / 4 // 30 // डित्यन्त्यस्वरादेः / 2 / 1 / 114|| डिद्वाण / 6 / 2 / 136 // डिन् / 7 / 1 / 147 // डीयश्व्यैदितः क्तयोः / 44 // 6 // ड्नः सः त्सोऽश्वः / 1 / 3 // 18 // ड्वितस्त्रिमक-तम्। 5 / 3 184 // ढस्तड्ढे / 1 / 3 / 42 // णौ दान्तशान्त-सम् / 4 / 4 / 74 // / तद्यात्येभ्यः / 6 / 4 / 87 // णौ मृगरमणे / 4 / 2 / 51 // तद्वति धण / 7 / 2 / 108 // णौ सन्डे वा। 4 / 4 / 27 // तद्वत्त्यधीते।६।२।११७ // ण्योऽतिथेः / 7 / 1 / 24 // तद्युक्ते हेतौ / 2 / 2 / 100 // तनः क्ये / 4 / 2 / 63 // तः सौ सः।२।१।४२।। तनुपुत्राणु-क्ते / 7 / 3 / 23 / / तक्षः स्वार्थे वा / 3 / 4 / 77 // तनो वा / 4 / 1 / 105 // ततः शिटः / 1 / 3 / 36 // तन्त्रादचि-ते।७।१।१८३॥ तत आगते / 6 / 3 / 149 // तन्भ्यो वा-श्च / 4 / 3 / 68 // ततोऽस्याः / 1 / 3 / 34 // तन्व्य धीण-तः / 5 / 1 / 64 // ततो ह-र्थः। 1 / 3 / 3 // तपः कर्चनुतापे च / 3 / 4 / 91 / / तत्पुरुषे कृति / 3 / 2 / 20 // तपसः क्यन् / 3 / 4 / 36 // तत्र / 7 / 1 / 53 // तपेस्तपःकर्मकात् / 3 / 4 / 85 / / तत्र कृतलब्ध-ते। 6 / 3 / 94 // / तप्तान्ववाद्रहसः / 7 / 3 / 81 // तत्र कसुकानौ-त् / 5 / 2 / 2 / / तमर्हति / 6 / 4 / 177 / / तत्र घटते-ष्ठः / 7 / 1 / 137 / / तमिस्रार्णवज्योत्स्नाः 7252 / / तत्र नियुक्ते।६।४।७४॥ तं पचति द्रोणाद्वान् / 6 / 4 / 16 / / तत्र साधौ। 7 / 1 / 15 // तं प्रत्यनो-लात् / 6 / 4 / 28 / / तत्रादामि-वः / 3 / 1 / 26 / / तं भाविभूते / 6 / 4 / 106 // तत्राधीने / 7 / 2 / 132 // तयोर्वो-याम् / / 4 / 103 / / तत्राहोरात्रांशम् / 3 / / 93 / / तयोः समू-षु / 7 / 3 / 3 // त्रोद्धते पात्रेभ्यः / 6 / 2 / 138 / / | तरति / 6 / 4 / 9 // तत्साप्यानाप्या-श्व / 3 / 32221 तरुतृणधान्य-त्वे।३।१।१३३।। तद् / 7 / 1 / 50 / / तव मम इंसा।२।१।१५॥ तदः सेः-ऑ। 1 / 3 // 45 // तवर्गस्य श्च-ौ / 1 / 3 / 60 // तदन्तं पदम् / 1 / 1 / 20 // तव्यानीयौ / 5 / 1 / 27 // तदत्रास्ति / 6 / 2 / 70 / / तसिः / 6 / 3 / 211 / / तदत्रास्मै वा-यम् / 6 / 4 / 158 // तस्मै भृता-च / 6 / 4 / 107 // तदर्थार्थन।३।१।७२॥ तस्मै योगादेः शक्ते / 6 / 4 / 94|| तदस्य पण्यम् / 6 / 4 / 54 // तस्मै हिते।७।१॥ 35 // तदस्य सं-तः / 7 / 1 / 138 // तस्य / 7 / 1 // 54 // तदस्यास्त्य-तुः / 7 / 2 / 1 // तस्य तुल्ये कः०७१।१०८॥ तद्धितः स्वर-रे। 3 / 2 / 55 // तस्य वापे / 6 / 4 / 151 // तद्धितयस्वरेऽनाति / 2 / 4 / 92 // / तस्य व्याख्या-त् / 6 / 3 / 142 // तद्धिताकको-ख्याः / 3 / 2 / 54 // तस्येदम् / 6 / 3 / 160 / / तद्धितोऽणादिः / 6 / 1 / 1 // तस्याहे-वत् / 7 / 1 / 51 // तद्भद्रायुष्य-षि / 2 / 2 / 66 // / तादर्थ्ये / 2 / 2 / 54 / / णकतृचौ / 5 / 1 / 48 // णश्च विश्रवसो-वा। 6 // 1 // 65 // णषमसत्परे स्यादि० २।श६०|| णस्वराघोषा-श्च / 2 / 4 / 4 / / णावज्ञाने गमुः। 4 / 4 / 24 // णिज् बहुलं-षु। 3 / 4 / 42 // णिद्वान्त्यो णव / 4 / 3 / 58 // णिन् चावश्य-ये / 5 / 4 // 36 // णिवेत्त्यास-नः / 5 / 3 / ११शा णिश्रि-कर्तरि ङः / 3 / 4 / 58|| णिस्तोरेवाऽणि / 2 / 3 / 37 // णिस्नुयात्मने-त् / 3 / 4 / 92 // णेरनिटि / 4 / 3 / 83 // णेर्वा / 2 / 3 / 88 // णोऽन्नात् / 7 / 1 / 10 // णौ क्रीजीङः / 4 / 2 / 10 // / / 188 //
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