Book Title: Madhyam vrutti vachuribhyamlankrut Siddhahemshabdanushasan Part 02
Author(s): Rajshekharvijay
Publisher: Shrutgyan Amidhara Gyanmandir
________________ 552 ] श्रीसिद्धहेमशब्दानुशासन [ सूत्राणामकाराद्यनुक्रमणिका आदितः। 4 / 4 / 71 // आशिष्यकन् / 5 / 1170 // आदेश्छन्दसः प्र०।६।२।११२॥ आशिष्याशी:पश्च०५।४।३८|| आद्यद्वितीय-पाः / / 1 / 13 / / आशीः क्यात्-हि / 3 / 3 / 13 / / आद्यात् / 6 / 1 / 29 // आशीराशा-णे / 3 / 2 / 120 // आद्यादिभ्यः / 7 / 2 / 84 // आश्वयुज्या अकम् / 63 / 119 // आद्योऽश एकस्वरः / 4 / 1 / 2 // आसन्नः / 7 / 4 / 120 / / आ द्वन्द्वे / 2 / 2 / 39 // आसन्नादूरा-र्थे / 3 / 1 / 20 / / आ द्वरः / 2 / 1 / 41 // आसीनः / 4 / 4 / 115 // आधाराच्चोप-रे / 3 / 4 / 24 // आसुयु-मः / 5 / 1 / 20 // आधारात् / 5 / 1 / 137 / / आस्तेयम् / 6 / 3 / 131 // आधारात् / 5 / 4 / 68 // आस्यटिव्रज्यजः क्यप् / 5 / 3 / 97 // आधिक्यानुपूर्थे / 74 / 75 / / आहावो निपानम् / 5 / 3 // 44 // आनायो जालम् / 5 / 3 / 136 / / आहिताग्न्यादिषु / 3 / 11153 // आनुलोम्येऽन्वचा / 5 / 4 / 88 / / आही-दूरे / 7 / 2 / 120 // आपत्यस्य क्यव्योः / / 4 / 9 / / इकण् / 6 / 4 / 1 // आपो हितां-याम् / 1 / 4 / 17 // इकण्यथर्वणः / 7 / 4 / 49 // आप्रपदम् / 7 / 1 / 95 / / इकिश्तिव स्वरूपार्थे / 5 / 3 / 138|| आबाधे। 7 / 4 / 85 // इको वा।४।३।१६ // आभिजनात् / 6 / 3 / 214 // इडिन्तः कर्तरि / 3 / 3 / 22 // आमः आकम् / / 1 / 20 / / इडितो व्यञ्जना-त् / 5 / 2 / 44 // आमः कृगः / 3 / 3 / 75 // इडोऽपादाने-द्वा। 5 / 3 / 19 / / आमन्ताल्वाय्येत्नावय / 4 / 385 / / इच्चापुंसो-रे / 2 / 4 / 107 // आमन्त्र्ये / 2 / 2 / 32 // इच्छार्थे कर्मणः सप्तमी / 5 / 4 / 89 // आमयादीर्घश्च / 7 / 2 / 48 // | इच्छार्थे सप्तमीपश्च० / 5 / 4 / 27|| आमो नाम वा।१।४।३१॥ इच्यस्वरे दी-छ / 3 / 2 / 72 // आयस्थानात् / 6 / 3 / 153 / / / 7 / 3 / 74 // आ यात् / 7 / 2 / 2 // इत्र इतः / 2 / 4 / 71 // आयुधादिभ्यो-देः / 5 / 1 / 94|| इनः / 7 / 4 / 11 // आयुधादीयश्च / 6 / 4 / 1 / इट ईति / 4 / 3 / 71 // आरम्भे / 5 / 1 / 10 // इट् सिजाशिषो-ने / 4 / 4 / 36 // आरादर्थैः / 2 / 2 / 78 // इडेत्पुसि-लुक् / 4 / 3 / 94 // आ रायो व्यञ्जने / 2 / 115 // इणः।२।१। 51 // आर्यक्षत्रियाद्वा / 2 / 4 / 66 / / इणिकोर्गाः।४।४।२३॥ आशिषि तु-ता४।२।११९॥ इणोऽभ्र / 5 / 3 / 75 // आशिषि नाथः / 3 / 3 / 36 // इतावतो लुक् / 7 / 2 / 146 / / आशिषि हनः / 5 / 1180 // इतोऽक्त्य र्थात् / 2 / 4 / 32 // आशिषीणः / 4 / 3 / 107 // | इतोऽतःकुतः / 7 / 2 / 90 // इतोऽनिबः / 6 / 1 / 72 // इदंकिमीत्कीः / 3 / 2 / 153 / / इदंकिमो-स्य / 7 / 1 / 148 // इदमः / 2 / 1 / 34 // इदमदसोऽक्येव / 1 / 4 / 3 // इदुतोऽस्त्र-त् / 1 / 4 / 21 // . इनः कच् / 7 / 3 / 170 / / इन्डीस्वरे लुक् / 1 / 4 / 79 // इन्द्रियम् / 7 / 1 / 174 // इन्द्रे / 1 / 2 / 30 // इन्ध्यसंयोगा-द्वत् / 4 / 3 / 21| इन्हन्-स्योः / 1 / 4 / 87 / / इरंमदः / 5 / 1 / 127 / / इर्दरिद्रः / 4 / 2 / 98 // इवृद्धिमत्यविष्णौ। 3 / 2 / 43 / / इलश्च देशे / 7 / 2 / 36 // इवर्णादे-लम् / 1 / 2 / 21 // इवृध-सनः / 4 / 4 / 47 // इश्च स्थादः / 4 / 3 / 41 / इषोऽनिच्छायाम् / 5 / 3 / 112 / / इष्टादेः / 7 / 1 / 168 // इसासः शासोऽब्य०।४।४।११८|| इसुसोबहुलम् / 7 / 2 / 128 // ईः षोमवरुणेऽग्नेः / 3 / 2 // 42 // ईगितः / 3 / 3 / 95 // ईडी वा।२।१।१०९॥ ई च गणः / 4 / 1 / 67 // ईतोऽकञ् / 6 / 3 / 41 / / ईदूदे-नम् / 1 / 2 / 34 // ईनन् च / 6 / 4 / 114 // ईनयौ चाशब्दे / 6 / 3 / 129 // ईनेऽध्वात्मनोः / 7 / 4 / 48 // ईनोऽह्नः क्रतो / 6 / 2 / 21 // ईयः / 7 / 1 / 28 // ईयः स्वसुश्च / 6 / 189 // ईयकारके / 3 / 2 / 121 // ईयसोः / 7 / 3 / 177 //
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