Book Title: Madhyam vrutti vachuribhyamlankrut Siddhahemshabdanushasan Part 02
Author(s): Rajshekharvijay
Publisher: Shrutgyan Amidhara Gyanmandir
________________ सूत्राणामकाराद्यनुक्रमणिका ] मध्यमवृत्त्यवचूरिसंवलितम् / [553 ईय॑ञ्जनेऽयपि / 4 / 3 / 97 // / उपमानं सामान्यौः / 3 / 1 / 101 // / उषासोषसः / 3 / 2 / 46 / / ईशीड:-मोः। 4 / 4 / 87 // उपमानसहित-रोः। 2 / 4 / 75 / / / उष्ट्रमुखादयः / 3 / 1 / 23 / / ईश्च्वाववर्ण-स्य / 4 / 3 / 111 // उपमेयं व्याघ्रा-क्तौ / 3 / 1 / 102 // | उष्ट्रादकम् / 6 / 2 / 36 // ईषद्गुणवचनैः। 3 / 1 / 64 // उपसर्गस्यानि-ति / 1 / 2 / 19 // उष्णात् / 7 / 1 / 185 / / ईश्वा / 1 / 2 / 33 // उपसर्गस्यायौ / 2 / 3 / 100 // उष्णादिभ्यः कालात् / 6 / 3 / 33 / / उ: पदान्तेऽनूत् / 2 / 1 / 118 // उपसर्गात् / 7 / 3 / 162 // ऊङः / 3 / 2 / 67 // उक्ष्णो लुक् / 7 / 4 / 56 // / उपसर्गात् खल्ब०।४।४।१०७।। | ऊँचो / 1 / 2 // 39 // उणादयः / 5 / 2 / 93 // उपसर्गात् सुग-त्वे / 2 / 3 / 39 / / ऊटा / 1 / 2 / 13 / / उत और्विति व्य०।४।३ / 59 // उपसर्गादध्वनः / 7 / 3 / 79 // ऊढायाम् / 2 / 4 / 51 // उति शवों-भे।४ / 3 / 26 / उपसर्गादस्योहो वा / 3 / 3 / 25 // अदितो वा / 4 / 4 / 42 // उतोऽनडुच्चतुरो वः / 1 / 4 / 81 // उपसर्गादातः / 5 / 3 / 110 // उद् दुषो णौ / 4 / 2 / 40 // उतोऽप्राणिन-उङ / / 4 / 73 / / उपसर्गादातो-श्यः / 5 / 1 / 56 / / ऊनः / 2 / 4 / 7 // उत्करादेरीयः / 6 / 2 / 91 // / उपसर्गादूहो ह्रस्वः / 4 / 3 / 106 / / ऊनार्थपूर्वाद्यैः / 3 / 1 / 67 // उत्कृष्टऽनूपेन / 2 / 2 / 39 // उपसर्गादः किः / 5 / 3 / 87 // ऊर्जा विन्वन्तः / 7 / 2 / 51 / / उत्तरादाहञ् / 6 / 3 / 5 // उपसर्गाद्दिवः / 2 / 2 / 17 // ऊर्णाशुभमो युस् / 7 / 2 / 17 / / उत्थापनादेरीयः / 6 / 4 / 121 / / उपसर्गाद् देव-शः / 5 / 2 / 69 // | | ऊर्ध्वात् पूरशुषः / 5 / 4 / 70 / / उत्पातेन ज्ञाप्ये / 2 / 2 / 59 // उपाजेऽन्वाजे / 3 / 1 / 12 // ऊर्धादिभ्यः कर्तुः / 5 / / 136 / / उत्सादेरञ्। 6 / 1 / 19 // उपाज्जाननीवि-ण / 6 / 3 / 139 // ऊर्वादिरिष्टा-स्य / 7 / 2 / 114 // उत्स्वराद्-।। 3 / 3 / 26 // उपात् / 3 / 3 / 58 // ऊर्याद्यनु-तिः / 3 / 1 / 2 // उदः पचि-रेः / 5 / 2 / 29 // उपात् किरो लवने / 5 / 4 72 / / | ऋलति-वा।१।२।२॥ उदः श्रेः / 5 / 3 / 53 // उपात् स्तुतौ / 4 / 4 / 105 // ऋशवप्रः / 4 / 4 / 20 // उदः स्थास्तम्भः सः / 1 / 3 / 44 // उपात् स्थः / 3 / 3 / 83 // ऋकपूःपथ्यपोऽत् / 7 / 376 / / * 'उदकस्योदः पेपंधि० / 3 / 2 / 104 / / उपाद् भूषासमवाय-रे / 4 / 4 / 92 // | ऋक्सामर्दी-वम् / 7 / 3 / 97 / / उदग्ग्रामाद्य-स्नः। 6 / 3 / 25 // उपान्त्यस्यासमा-।४।२।३५।। | गृद्विस्वरया०६।३३१४४॥ उदङकोऽतोये।५।३।१३५॥ उपान्वध्याङवसः। 2 / 2 / 21 // ऋचः शसि / 3 / 2 / उदच उदीच् / 2 / 1 / 103 / उपायाद् ह्रस्वश्च / 7 / 2 / 170|| ऋचि पाद:-दे। 2 / 4 / 17 / / उदन्वानब्धौ च / 2 / 1 / 97 // उपेनाधिकिनि / 2 / 2 / 105 // ऋणाद्धेतोः / 2 / 2 / 76 / / उदरे विकणाधूने / 7 / 1 / 181 / / उप्ते / 6 / 3 / 118 // ऋणे प्र-।१।२॥ 7 // उदश्वरः साप्यात् / 3 / 3 / 31 // उभयाद् धुस् च / 7 / 2 / 99 / / ऋत इकण् / 6 / 3 / 152 / / उदितः स्वरान्नोऽन्तः / 4 / 4 / 98 // उमोर्णाद्वा / 6 / 2 / 37 // ऋतः / 4 / 4 / 79 // उदितगुरोर्भा-दे / 6 / 2 / 5 // उरसोऽ / 7 / 3 / 114 // . ऋतः स्वरे वा / 4 / 3 / 43 // उदुत्सोरुन्मनसि / 7 / 1 / 192 / / उरसो याणौ। 6 / 3 / 196 // - तां विद्यायो-न्धे / 3 / 3 / 37 / / उदोऽनूर्वे हे / 3 / 3 / 62 // / / 7 / 1 / 30 // ऋते तृ-से / 1 / 2 / 8 // उद्यमोपरमौ / 4 / 3 / 57 // उवर्णात् / 4 / 4 / 58 // ऋते द्वितीया च / 2 / 2 / 114 / / उपज्ञाते।६।३।१९१ / / उवर्णादावश्यके / 5 / 1 / 19 // ऋतेमयः / 3 / 4 / 3 // उपत्यकाधित्यके / 7 / 1 / 131 // उवर्णादिकण / 6 / 3 / 39 / / ऋतो डुर।१।४।३७ / / .उपपीडरुध-म्या / 5 / 4 / 75 // उनोः / 4 / 3 / 2 // ऋतोऽत् / 4 / 1 / 38 //
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