Book Title: Madhyam vrutti vachuribhyamlankrut Siddhahemshabdanushasan Part 02
Author(s): Rajshekharvijay
Publisher: Shrutgyan Amidhara Gyanmandir
________________ 550 ) श्रीसिद्धहेमशब्दानुशासनं णामकाराद्यनुक्रमणिका अनः।७।३। 88 // अनेकवर्णः सर्वस्य / 7 / 4 / 107 // / अभिनिष्क्रामति०। 6 / 3 / 202 / / अनक / 2 / 1 // 36 // अनोः कमितरि / 7 / 1 / 188 // अभिनिष्ठानः 2 / 3 // 24 // अनजिरादि-तौ / 3 / 2 / 78|| अनोः कर्मण्यसति / 3 // 3 // 8 // अभिव्याप्ती-बिन् / 5 / 3 / 90 // अनयः क्त्वो यप् / 3 / 2 / 154 / / / अनोऽटये ये।७।४। 51 // अभेरीश्च वा। 7 / 1 / 189 // अनबो मूलात् / 2 / 4 / 58 // | अनोर्जनेर्डः / 5 / 1 / 168 // अभ्यमित्रमीयश्च / 7 / 1 / 104 / / अनट् / 5 / 3 / 124 / / अनोर्देशे उप / 3 / 2 / 110 // अभ्यम्भ्य सः / 2 / 1 / 18 // अनडुहः सौ। 1 / 4 / 72 // अनोवा।२।४।११॥ अभ्रादिभ्यः / 7 / 2 / 46 // अनतोऽन्तोऽदात्मने।४।२।११४॥ अनोऽस्य / 2 / 1 / 108 // अभ्वादे-सौ / 1 / 4 / 90 / / अनतो लुप / 1 / 4 / 59 // अन्तःपूर्वादिकण् / 6 / 3 / 137 // अमद्रस्य दिशः / 7 / 4 / 16 // अनतोलुप / 3 / 2 / 6 // अन्तद्धिः / 5 / 3 / 89 // अमव्ययीभाव-म्याः / 3 / 2 / 2 / / अनत्यन्ते / 7 / 3 / 14 / / अन्तर्बहि-म्नः। 7 / 3 / 132 / / अमा त्वामा / 2 / 1 / 24 // .. अनद्यतने श्वस्तनी / 5 / 3 / 5 / / अन्तो नो लुक् / 4 / 2 / 94 // अमाव्ययात् क्यन् च.।३।४।२३।। अनद्यतने र्हिः / 7 / 2 / 101 // अन्यत्यदादेराः।३।२।१५२॥ अमूर्धमस्तका-मे / 3 / 2 / 22 / / अनद्यतने हस्तनी। 5 / 2 / 7 // अन्यथैवंकथ-कात् / 5 / 4 / 50 // अमोऽकम्यमिचमः / 4 / 2 / 26 // अननोः सनः। 3 / 3 / 70 // अन्यस्य / 4 / 1 / 8 // अमोऽधिकृत्य ग्रन्थे / 6 / 3 / 198 / / अनन्तः प-यः / 1 / 1 / 38 // अन्यो घोषवान् / 1 / 1 / 14 // अमोऽन्तावोधसः / 6 / 3174 / / अनपत्ये / 7 / 4 / 55 / / अन्वापरेः / 3 / 3 // 34 // अमौ मः / 2 / 1 / 16 // अनरे वा।६।३।६१ // अन् स्वरे / 3 / 2 / 129 / / अयज्ञे स्त्रः / 5 / 3 / 68 // अनवर्णा नामी। 1 / 1 / 6 // अपः / 1 / 4 / 88 // अयदि श्रद्धा-नवा / 5 / 4 / 23 / / अनाङमाङो-छः। 1 / 3 / 28 // अपचितः।४।४। 77 // अयदि स्मृ-न्ती।५।२।९।। अनाच्छादजा-वा।२।४।४७॥ अपश्चमा-ट्१।११११॥ अयमियं पु- सौ / 2 / 1 / 38 // अनातो नश्चान्त-स्व / 4 / 1169 / / अपण्ये जीवने / 7 / 1 / 110 / / अयि रः / 4 / 1 / 6 // अनादेशादे-तः / 4 / 1 / 24 // अपस्किरः।३।३ / 30 // अरण्यात् पथि-रे / 6 / 351 / / अनाम्न्यद्विः प्लुप।६।४।१४१।।। अपाच्चतुष्पा-थे। 4 / 4 / 95 // अरीहणादेरकण् / 6 / 2183 / / अनामस्वरे नोऽन्तः / / 4 / 64 // अपाञ्चायश्चिः क्तौ।४।२।६६ अर्मनश्च-यौ / 7 / 2 / 127 // अनार्षे वृद्धे-ध्यः // 2 / 4 / 78 // अपायेऽवधिरपादा० / 2 / 2 / 29 // अरोः सुपि रः / 1 / 3 / 57 // अनिदम्यणपवादे०।६।१।१५।। | अपील्वादेवहे / 3 / 2 / 89 // / अडौँ च।१।४।३९ / / अनियो-वे / 1 / 2 / 16 / / अपोऽद् भे॥१४॥ अतिरीव्लीह्री-पुः / 4 / 2 / 21 / / अनीनाद-तः।७।४।६६ / / अपोनपादपा-तः / 6 / 2 / 10 / / अर्थपदपदोत्तर-ण्ठात् / 6 / 4 / 37|| अनुकम्पा-त्योः। 7 / 3 / 34 // अपो यञ् वा।६।२।५६॥ अर्थार्थान्ता त् / 7 / 2 / 8 // अनुग्वलम् / 7 / 1 / 102 // अपो ययोनिमतिचरे / 3 / 2 / 28 / / अर्धपूर्वपदः पूरणः / 1 / 1 / 42 // अनुनासिके च-ट् / 4 / 11 / 108 // अप्रत्यादावसाधुना ।२।२।१०शा ! अर्धात् पर-देः / / 4 / 20 // अनुपदं बद्धा / 7 / 1 / 96 // अप्रयोगीन् / 1 / 1 / 37 // अर्धात् पल-त् / 6 / 4 / 134 // अनुपद्यन्वेष्टा / 7 / 1 / 170 // अप्राणिनि।७।३।११२॥ अर्धाद् यः / 6 / 3 / 69 // अनुपसर्गाः क्षीबो० / 4 / 2 / 80 // | अप्राणिपश्वाः / 3 / 1 / 136 / / अर्हतस्तो न्त् च 7 / 1361 // अनुब्राह्मणादिन् / 6 / 2 / 12 / / अब्राह्मणात् / 6 / 1 / 141 // | अहम् / 1 / 1 / 1 // अनुशतिकादीनाम् / 7 / 4 / 27 // अभक्ष्याच्छादने वा०। 6 / 2 / 46 / / / अहे तृच् / 5 / 4 / 37 //
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