________________
श्री लोकाशाह मत-समर्थन
११
※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※※
प्रेरित हुए नरपिशाचों द्वारा भयंकर कष्ट सहन कर दर दर मारी - मारी फिरना पड़ा। समाज का अपमान सहन कर अनेक प्रकार की यातनाएँ सहन करनी पड़ी। बड़े-बड़े उच्च खानदानी युवकों को वेश्यागामी, परदार-व्यसनी, बना कर घर-घर भीख मांगते इसी ने तो बनाये हैं। आज भारत की अधोगति, बल, वैभव, उच्च संस्कृति का नाश यह सभी इसी जिनदेव के कृपा कटाक्ष का फल है। .
पुराणों की इन्द्र, चन्द्र, नरेन्द्र, महेश, गौतमऋषि आदि की कलंक कथाएँ भी इसी देव की कृपा का परिणाम है।
वर्तमान समय में भी पुनर्विवाह की प्रथा अनेक हिन्दुओं का मुसलमान, ईसाई, आदि बन जाना, कन्या-विक्रय, वृद्धविवाह, भ्रूण-हत्या, आदि का होना इत्यादि जितनी भी गुण गाथाएँ इस विश्वदेव की गाई जाय उतनी थोड़ी है। इस तरह यह कामदेव भी तृतीय श्रेणी का 'जिन' है। ___(४) नारायण (वासुदेव) - तीन खण्ड के विजेता अपने बाहुबल से अनेक युद्धों में अनेक महारथियों को पराजित कर सम्पूर्ण तीन खण्ड में निष्कंटक राज्य करने वाले ऐसे वासुदेव भी चौथी श्रेणी के 'जिन' है*।
यह तीसरी और चौथी श्रेणी के जिन द्रव्य जिन हैं। इनसे संसार के प्राणियों का उद्धार नहीं हो सकता। तृतीय श्रेणी का जिन तो तीनों लोक बिगाड़ता है, और जितना प्रभाव अन्य तीन जिन देवों का नहीं उतना इस कामदेव जिन का है, इसके आश्रय में जितने प्राणी हैं, उतने अन्य तीनों जिनों के नहीं। • * नोट - बुद्ध को भी जिन कहा गया है। सूत्रों में अवधिज्ञानी, मनःपर्ययज्ञानी को भी जिन कहा है।
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org