Book Title: Lipi Vikas
Author(s): Rammurti Mehrotra
Publisher: Sahitya Ratna Bhandar

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८ लिपि-विकास ( क ) समोच्चारक शब्द-लिपि-जब भाव-चित्र ध्वनिचित्रों में परिणत होने लगे तो कुछ समय पश्चात् समोच्चारक शब्दों के लिए एक लिपि-चिह्न प्रयुक्त होने लगा। क्योंकि इन लिपि-चिह्नों का सम्बन्ध मौखिक ध्वनियों से था, अतः इसे मौखिक ( Verbal ) लिपि भी कहते हैं। यह लिपि प्राचीन काल में मिस्त्र में प्रचलित थी और चीन में तो अब भी प्रचलित है : एक उदाहरण से उसका रूप स्पष्ट हो जायगा। चीनी में एक मोच्चारक शब्द है मु, मुक, मोक अथवा मुङ्ग जिसका ध्वनि-चिह्न है नं० २० जोकि सोचना, सोच, सोचनीय, सोचा, सोचता है, साचूँगा, सोचेगा आदि सब के लिए आता है अर्थात् जिस प्रकार हिन्दी में किसी शब्द के संज्ञा, क्रिया, विशेषण आदि भिन्न-भिन्न शब्द-भेदों, स्त्रीलिङ्ग, पुल्लिङ्ग आदि विभिन्न लिङ्गों, एक वचन, बहुवचन आदि विभिन्न वचनों, उत्तम, मध्यम आदि विभिन्न पुरुषों, कर्ता, कर्म आदि विभिन्न कारकों, भूत भविष्यत आदि विभिन्न कालों अथवा काल-भेदों में भिन्न-भिन्न रूप आते हैं, उस प्रकार चीनी में नहीं होता, उसमें इन सब दशाओं में एक ही रूप रहता है। समोच्चारक शब्दों को अंग्रेजी में Homophones कहते हैं । होमोफोन्स वे शब्द हैं जिनमें एक ही उच्चारण से अनेकों शब्दों का काम चल सके अर्थात् एक शब्द अथवा शब्द-चिह्न के कई अर्थ हों। चीनी में इस प्रकार के अनेक. होमोफोन्स हैं। किसी शब्द को निश्चयपूर्वक समझने के लिए प्रत्येक ध्वनि-चिह्न के साथ उसकी टीका ( Key ) स्वरूप एक भाव-चिह्न प्रयुक्त होता है। उदाहरणार्थ चीनी में 'पा' ध्वनि-बोधक चिन्ह नं० २१ के आठ अर्थ हैं। इसके साथ केले के अर्थ में वृक्षा की, घाव के अर्थ में रोग की, चिल्लाहट के अर्थ में मुख की टीका अर्थात् भाव-बोधक चिन्ह लगाया जाता है। For Private And Personal Use Only

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