Book Title: Lipi Vikas
Author(s): Rammurti Mehrotra
Publisher: Sahitya Ratna Bhandar

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Page 52
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रत्न * Hai or विद्या अटों का विकास शब्द सुचित संख्याएँ शब्द सूचित संख्याएँ वायु अनिल ३,५,६,१३,१४ आदि) ५.४६ १, ३२ पयोधि (तथा १, १२ उसके पर्याय जलधि आदि) ४,७ वलि ३.५ प्रकृति १४ २१, २५ वाजी ब्रह्म १,३,८ विधु १,४ भुवन (और विश्व १३, १४ उसका पर्याय ३, ११. १८ लोक) भूखंड ५, ७, ३३ मही १,७ स्वर मुनि ३.७ ३, १०, ११ मेरु १,५ शिलीमुख ५,७ यति ६,७ श्रुति २, ४, ८, २० युग २,४ हरनेत्र १, ३ रस ६ ६. नामांक लिपि में किसी वस्तु अथवा व्यक्तिका नाम अपने वर्ग में जिस क्रम संख्या पर होता था उसी का वाचक हो जाता था जैसे अमरनाथ तीर्थकर अपने वर्ग का अठारहवाँ तीर्थ है, अतः यह १८ का सूचक था; इसी प्रकार सामवेद वेद-वर्ग में तीसरा है, अतः ३ का सूचक हो गया। शब्दांक लिपि की उत्पत्ति संभवतः इस प्रकार हुई कि प्राचीन काल में लेखा बंद mur ora 9 ० १ १ ४१ G.' शिव For Private And Personal Use Only

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