Book Title: Lipi Vikas
Author(s): Rammurti Mehrotra
Publisher: Sahitya Ratna Bhandar

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Page 26
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लिपि का आविष्कार १७ की उत्पत्ति भी होती है, जैसे हिन्दी में अ की जगह मराठी अ लिखने का प्रचार अधिक हो रहा है तथा मराठी में इ, उ, ए के स्थान में अ, अ, अ आने लगे हैं । [४] विभाष - मिश्रण - किसी भाषा का विभाषा से संसर्ग होने पर उसमें अनेकों नवीन ध्वनियाँ आ जाती हैं और उनके द्योतक नवीन चिन्ह भी बन जाते हैं उदाहरणार्थ हिन्दी में अरबीफारसी के संसर्ग से क़, स्न, ग़, 'ज़, फ़, झ, ञ आदि तथा अँग्रेजी के प्रभाव से अॅ ऍ आदि का आगम हो गया है । ड़ ढ़, व्, न्ह, म्ह आदि भी नवीन ध्वनि संकेत हैं । --- निष्कर्ष – सारांश यह है कि लिपि के विकास की मुख्य अवस्थाएँ क्रमानुसार रज्जु अथवा ग्रंथि लिपि, भाव तथा ध्वनिबोधक चित्र लिपि तथा वस्तु अथवा मुख आकृति मूलक ध्वन्यात्मक लिपि हैं । ध्वन्यात्मक लिपि द्वारा निर्धारित लिपि चिन्ह कालान्तर में पूर्णतया वस्तु अथवा मुख आकृति से सम्बद्ध होकर उनके द्योतक न रहे और लिखने के ढङ्ग अर्थात् निश्चय, सरलता, सौन्दर्य, त्वरालेखन आदि लिपि गुणों के कारण समय समय पर विकून होते रहने के कारण आधुनिक रूपों में परिवर्तित हो गए और विशुद्ध वर्णमाला बन गई जिसमें विभाषामिश्रण के कारण अनेकों नवीन ध्वनियों तथा चिन्हों का आगम होता रहता है । For Private And Personal Use Only

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