Book Title: Lakshya Banaye Safalta Paye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 14
________________ जा सकता है और अपनी जिंदगी की हर पराजय को विजय में बदला जा सकता है। ध्यान रखें, जीवन में वे जरूर जीतेंगे, जिनके भीतर जीत सकने का पूरा विश्वास है। आत्मगौरव करना सीखें आदमी अपना लक्ष्य निर्धारित नहीं कर पाता, क्योंकि उसका स्वाभिमान बड़ा कमजोर है। आदमी में कभी भी अपने आप पर आत्मगौरव करने का भाव ही नहीं उठता। आपने शायद धर्म की किताबों में इसे अहंकार के रूप में पाया है, पर मैं कहता हूं कि आदमी कभी-कभी अपने आप पर भी गौरव करना सीखे कि ईश्वर ने मुझे इस जीवन के नाम पर कितनी बड़ी महान् सौगात प्रदान की है। सदा अपने आप पर गौरव करो। कभी भी अपने आपको दीन-हीन और गरीब मत समझो। स्वयं को हमेशा करोड़पति समझो। हमारी आंखें, हृदय, गुर्दे और अन्य अंगों की कीमत बाजार में करोड़ों में है, फिर किस बात की हीनता, किस बात का डर! अपने कमजोर स्वाभिमान को उठाकर किनारे फेंको, अपने हृदय की तुच्छ दुर्बलता को किनारे कर दो। बस, अपने आप पर गौरव करो। गौरव इसलिए करो, ताकि तुम हर समय उत्साह-उमंग-ऊर्जा से ओत-प्रोत रह सको। टालमटोल की आदत से बचें आदमी में टालमटोल करने की भी बुरी आदत होती है। वह हर काम को कल पर टालने का आदी है। वह तो मौका ढूंढ़ता है। सोचता है, 'आज करे सो काल कर, काल करे सो परसों। ऐसा करके केवल काम को ही कल पर नहीं टाल रहे, आज को भी कल पर टाल रहे हो। यह कौन-सी गारंटी है कि कल का दिन भी आएगा। आज का कार्य आज ही संपन्न हो। अगर कल पर टालना ही है, तो अपने अशुभ भावों को, अपने क्रोध को, अपने द्वेष-वैमनस्यता को कल पर टालिए? और प्रेम, सहानुभूति, करुणा, शांति के कामों को आज ही कर डालिए। शुभ कार्यों को करने के लिए किसी मुहूर्त की ज़रूरत नहीं होती। मुहूर्त निकलवाना है, तो अशुभ कार्यों के लिए निकाला जाए। अगर गुस्सा आ जाए, तो उसी क्षण किसी संत और मुनि के पास जाना 13 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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