Book Title: Lakshya Banaye Safalta Paye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 104
________________ कुदरत हर इनसान को अधिसंपन्न करके भेजती है, फिर अपने आप को दीन-हीन, गरीब क्यों समझते हो ? हर आदमी के पास ईश्वर सामर्थ्य देकर भेजता है तुम्हारी कमजोरी यह है कि तुम अपने सामर्थ्य का उपयोग नहीं करते । कमाने वाले लोग रद्दी बेचकर और रद्दी खरीद कर भी करोड़पति हो जाते हैं । यह मत समझना कि जिस व्यक्ति का ज्वैलरी का धंधा है, वह समाज में ज्यादा आदरणीय होता है । तुम रद्दी को बेच और खरीद कर भी करोड़पति हो सकते हो । किसी के सामने जाकर भीख मांगने से तो अच्छा है कि तुम चौराहे पर जाकर जूस निकाल कर बेचने का धंधा कर लो । इस बात का मूल्य बाद में आंका जाएगा कि तुमने झूठ या सच किस तरीके से पैसा कमाया। मैं पूछना चाहूंगा कि अगर झूठ बोलना पाप है, तो भीख मांगना कौनसा पुण्य है । अपने सोए हुए पुरुषार्थ को जगाएं । अपना स्वयं का मूल्य समझें, तब पता चलेगा कि व्यक्ति का स्वयं का विश्वास किस तरह से उभर कर आता है । जीवन में आत्मविश्वास से बढ़कर न तो कोई मित्र होता है, न कोई शक्ति होती है और न ही प्रगति की कोई सीढ़ी होती है । जिंदगी की हर संकट की बेला में अगर कोई मददगार होता है, तो उसका अपने आप पर रहने वाला भरोसा ही होता है । संकट की घड़ी में तुम अगर हनुमान को याद करो, तो संभव है कि हनुमान आ पाएं कि न आ पाएं, लेकिन संकट की घड़ी में अपने आत्मविश्वास को याद करो, तो तुम स्वयं हनुमान हो जाओगे । तुम्हारे स्वयं के भीतर सौ-सौ व्यक्तियों की शक्ति उभर कर आ जाएगी । 1 मैंने आत्मविश्वास से सहयोग लिया है और इसीलिए मैं जानता हूं कि जिंदगी में अगर किसी भी इनसान के लिए विश्वास की कोई पहली सीढ़ी होती है, तो वह व्यक्ति का अपने आप पर रहने वाला यकीन ही है । जिसका अपने आप पर यकीन नहीं, उसका जीवन हसीन नहीं । आत्मविश्वास को मैं सफल व्यक्तित्व की निशानी मानता हूं। मेरे जीवन का अगर कोई पहला मित्र है, तो वह आत्मविश्वास ही है। मेरे दूसरे मित्र का नाम सकारात्मक सोच है और तीसरे मित्र का नाम बेहतर नज़रिया है। संकट की हर घड़ी में आत्मविश्वास के मित्र ने ही सहारा दिया है । आप अपने व्यक्तित्व का पहला पायदान Jain Education International 103 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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