Book Title: Lakshya Banaye Safalta Paye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 107
________________ काम आदमी के लिए सुख का द्वार बन जाता है और अनुत्साह-बेमन से किया गया काम आदमी के लिए बंधन की बेड़ी बन जाता है। भला जब आदमी अपने प्रयास से किसी कार्य को और अधिक बेहतर तरीके से कर सकता है, तो फिर बोझिल मन से क्यों करे? हम अपने हर कार्य को इतनी निष्ठा, इतने विश्वास और इतनी पूर्णता के साथ संपादित करें कि अगर घर में झाडू भी लगाए, तो इतने बेहतर तरीके से कि अगर उधर से देवता भी गुज़र जाएं, तो हमारी स्वच्छता देखकर पीठ थपथपाए। हम झाड़-पोंछा लगाएं कि जैसे मंदिर में बैठकर भगवान का भजन कर रहे हों। हम एक बार बुहारी चलाएं एक बार भगवान का सुमिरन करें, एक फिर बुहारी चलाएं, फिर प्रभु का सुमिरन करें। हर बुहारी के साथ सुमिरन। लोगों को लगेगा आप बुहारी चला रहे हैं, मगर आपके मन से कोई पूछे, तो पता चलेगा आप माला जप रहे हैं। अंतरर्मन में आप उत्साह का संचार कीजिए। आत्मविश्वास के चलते हमारे भीतर आत्म-निर्णय करने की क्षमता आएगी। हमको हर छोटी-छोटी बात में सलाह लेने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। व्यक्ति अगर अपनी जिंदगी में आस्तिक होना चाहता है, तो मैं कहूंगा कि तुम सबसे पहले अपनी बुद्धि के प्रति आस्तिक बनो । यह प्रकृति और परमात्मा की तुम्हें अनुपम सौगात है। तुम अपनी बुद्धि पर विश्वास रखो कि तुम्हें गलत सलाह नहीं देगी। मन-मन करते रहते हो ना, इसीलिए कहते हैं कि मारवाड़ मनसूबे डूबी। मन-मन करते रहते हो इसलिए एक निर्णय नहीं हो पाता। अपना निर्णय जो आपकी शांति-सौम्य बुद्धि ने दिया, वह सही है। उस पर दृढ़ रहो, अडिग रहो। अगर गलत होगा, तो गलत परिणाम भी मिल जाएगा। आगे से अपनी बुद्धि पर भरोसा नहीं करेंगे। और अगर हमारा निर्णय सही है, तो भी पता चल जाएगा। सलाह तो सबकी ले लो। हर्जा कुछ नहीं है। हिंदुस्तान में लोग किसी को देते भी हैं तो सलाह ही एक दूसरे को देते हैं। सलाह एक ऐसी चीज है जिसको हर आदमी दूसरे को देना चाहता है, लेकिन यह एक ऐसी चीज है, जिसे कोई भी आदमी दूसरे से लेना नहीं चाहता। 106 For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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