Book Title: Lakshya Banaye Safalta Paye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

View full book text
Previous | Next

Page 19
________________ था। मुझे अभिनेता ही होना था, सो मैं अभिनेता हूं।' क्या हममें यह निश्चय-शक्ति है, अगर ऐसा है, तो नतीजा यह निकलेगा कि आपकी असफलताएं भी आपको सफलता के करीब पहुंचाएंगी। कार्य योजना हो सुव्यवस्थित दृढ़ निश्यच के साथ ही लक्ष्य को अर्जित करने की निश्चित कार्य योजना हो। निश्चित कार्य योजना के अभाव में कोई भी सेनापति युद्ध नहीं जीत सकता, कोई भी लेखक व्यवस्थित रचना नहीं लिख सकता, कोई भी व्यवसायी उत्साहजनक परिणाम नहीं पा सकता। कार्य की एक सुनिश्चित योजना होनी चाहिए। कार्य योजना क्या और कैसे होती है, यह एक सज्जन से बखूबी जाना जा सकता है। वह हैं श्री प्रकाश दफ्तरी। मैं उनके कर्मयोग को देखकर बहुत चकित होता था। वह दिन-भर में पचासों काम निपटा लेते थे। मैं उनकी कार्य-शैली से बहुत प्रभावित हुआ। मैंने जानना चाहा, तो पता चला कि वे दिन-भर में जो भी काम करते, उनकी सुबह फ़हरिस्त बना लेते हैं । दिन-भर का सारा कार्य उसी फ़हरिस्त के अनुसार होता था। वह जब शाम को घर लौटते, तो उनका एक भी कार्य बकाया नहीं रहता। उनको अगर 'शेविंग' करनी होती, तो वह भी उस 'लिस्ट' का हिस्सा होती। आप अपने जीवन में कितने कार्य एक दिन में निपटा पाते हैं? आपके कार्यों में तारतम्य नहीं है, क्योंकि कार्यों में व्यवस्था नहीं है, कार्य योजना नहीं है। जीवन के पचासों कामों को निबटाने के लिए एक दिन ही पर्याप्त है, बशर्ते हमारे पास एक सुनिश्चित कार्य योजना हो। ऐसे तो आपको चार कार्य भी याद नहीं रहते, लेकिन योजना बन जाए, तो आप जितने काम निबटाते हैं, उनके बारे में जानकर आपको स्वयं ही ताज्जुब होगा। जब आप रात को सोएंगे, तो उससे पहले कोई भी कार्य शेष नहीं रहेगा। कार्य करें निष्ठा से जब हम कार्य योजना बना लें, तो मनोयोगपूर्वक, लगनपूर्वक उस कार्य को पूरा करने में लग जाएं। ऐसा नहीं कि निठल्ले बैठे रहें। हमारे 18 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122