Book Title: Lakshya Banaye Safalta Paye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 44
________________ जो आदमी अपनी जुबान पर नियंत्रण नहीं रख पाता, उससे यह उम्मीद नहीं रखी जा सकती कि वह किसी चींटी को भी बचा पाएगा। जिस आदमी के पास भाषा-समिति का उपयोग नहीं, क्या वह एषणा समिति का उपयोग कर पाएगा? बोलो, मगर प्यार से बोलो। बेमतलब कुछ भी मत बोलो। कोई सलाह मांगे, तो दो, वरना मौन रहो। कम बोलना चाहिए, जैसे कि कोई आदमी तार देता है, बिल्कुल नपे-तुले शब्द हों। अगर व्यक्ति संतुलित शब्दों में अगले तक अपनी बात पहुंचाएगा, तो उसकी ऊर्जा बची रहेगी। एक आदमी दिन में चार बार रोटी खाकर जितनी ऊर्जा बनाता है, तो वह केवल एक बार में ही पर्याप्त हो जाएगी, क्योंकि आदमी में ऊर्जा को खर्च करने के लिए जो रास्ते होते हैं, उन पर उसने अपना संयम ले लिया, अपना अंकुश लगा लिया। प्यार से बोलो, मिठास से बोलो। एक बार एक महानुभाव कन्हैयालाल सेठिया, बड़े चर्चित कवि हैं, हम सब लोगों के पास बैठे हुए थे। उन्होंने कहा, 'संत आदमी कितना संत होता है, यह तो हम नहीं कह सकते, मगर आपका बड़ा भाई पक्का संत है।' मैंने पूछा, 'कैसे?' वे बोले, 'कल मैंने इस आदमी को फोन पर सौ गालियां दी होंगी, मगर वह मेरी अंतिम टिप्पणी पर भी शांत रहे और आखिर में बोले, 'हां, साहब'।' ___ जिस आदमी का स्वभाव इतना सौम्य और मधुर है, जिसकी वाणी में जैसे मिश्री घुली हुई है कि जो सौवीं गाली के जवाब में भी 'हां, साहब' कहता है, वह व्यक्ति सचमुच संत ही है। संत का अर्थ होता है शांत होना। जो आदमी शांत है, वह संत है। हमारी वाणी में ऐसी मधुरता होनी चाहिए। वाणी का मिठास, आह, इससे बेहतरीन पुष्पहार क्या होगा! किसी भी बुद्धिमान-समझदार व्यक्ति की यह सबसे प्रभावशाली निशानी है। व्यवहार हो शालीन मैं तीसरा सूत्र देना चाहूंगा; व्यवहार में शालीनता। यह कोई सामान्य बात नहीं है कि आप किस तरह से उठ रहे हैं, किस तरह से बैठ रहे हैं, किस तरह से सो रहे हैं। आपका चलना, सोना, बैठना भी 43 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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