Book Title: Lakshya Banaye Safalta Paye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 97
________________ देखकर यह मत कहो कि गिलास आधा खाली है। तुम्हारी दृष्टि उसके भरे हुए तत्त्व को मूल्य दे कि 'अजी साहब, गिलास तो आधा भरा हुआ है।' गुलाब के पौधे पर नज़र पड़े, तो यह न कहें कि गुलाब में कांटे हैं। हमारी दृष्टि गुलाब पर केंद्रित हो। हमारी भाषा हो, 'कांटों में भी गुलाब है।' यही व्यक्ति की सकारात्मकता है। होंठों पर रहें आशा के गीत हम अपने आप पर आत्मविश्वास रखें। जब काले रंग का गुब्बारा भी आकाश को चूम सकता है, तो हम निराशा के दलदल में क्यों धंसे रहें? व्यक्ति आशा के गीत गुनगुनाए, विश्वास के वैभव का स्वामी बने। आत्मविश्वास की बदौलत तो बड़े-से-बड़े पर्वत भी लांघे जा सकते हैं, फिर जीवन की अन्य बाधाओं की तो बिसात ही क्या? रास्ते पर पड़ी हुई चट्टान हमें यही तो कहती है, 'तुम आगे बढ़ो, चट्टानों की चिंता छोड़ो।' आगे बढ़ने का जोश हो, तो चट्टानें स्वत: पीछे छूट जाया करती हैं। हम स्वयं में घमंड और अभिमान को स्थान न दें, तो सरलता सदा जीवन की शोभा बनती है। व्यक्ति चाहे कितना भी छोटा क्यों न हो, पर जो बुरे वक़्त में हमारे काम आया, उसे सदा याद रखें और उसके प्रति आभार से भरे हुए रहें। हमारी ओर से सबकी भलाई का ही प्रयास हो, पर नेकी कर कुएं में डाल । भलाई करें और भूल जाएं। अपनी की हुई भलाई के अहसान का कभी किसी को अहसास न करवाएं। जिसका हमने भला किया है और वह हमारा बुरा कर बैठा हो, तो खेद न लाएं। जिसके पास जो होता है, वह वही देता है। तुम्हारे पास भलाइयों का भंडार था, तुमने भलाई की। उसकी ओर से बदले में बुराइयां लौटें, तो उसके प्रति दया-भाव लाते हुए मात्र मुस्करा दीजिए। जीवन में आने वाली हर विपरीतता पर जो मुस्कान और माधुर्य से भरा हुआ रहता है, वह जीवन और जगत के मंदिर का अखंड दीप है, जिसकी रोशनी से उसका परिसर तो रोशन होता ही है, उसके प्रकाश को देखकर मंदिर के देवता भी मुदित होते हैं। 96 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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