Book Title: Lakshya Banaye Safalta Paye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 80
________________ व्यक्ति चेहरे की सुंदरता और स्मार्टनेस पर ही अपना अधिक ध्यान देता है, लेकिन किसी का भी ध्यान मन की खूबसूरती और स्वास्थ्य पर नहीं जाता, जब कि चेहरे का सौंदर्य पंद्रह प्रतिशत ही जीवन की किसी सफलता में आधारभूत बनता है, जबकि सोच और जीवन-शैली का योगदान पचासी प्रतिशत है। व्यक्ति की जैसी सोच होगी, वैसे ही उसके विचार और वचन होंगे। जैसे उसके विचार होंगे, वैसे ही उसके कर्म होंगे, जैसे कर्म होंगे, वैसा ही उसका चरित्र बनेगा। जो व्यक्ति अपने चरित्र को निर्मल रखना चाहता है, अपनी आदतों और कर्मों को सुधारना चाहता है, वह अपना ध्यान जड़ों की ओर आकर्षित करे । जब तक वह जड़ों तक नहीं पहुंचेगा, वह शरीर से स्वस्थ रहकर भी मन से हमेशा रुग्ण बना रहेगा। जिस दिन तुम अपने मन से स्वस्थ हो गए, तुम्हारा शरीर अपने आप स्वास्थ्य के सोपानों को पार करने लग जाएगा। बेहतर फलों के लिए बुवाई मनुष्य का मस्तिष्क एक बगीचे की तरह होता है, जिसमें अगर अच्छे बीज बोओ, तो अच्छे फल और फूल लगेंगे और बीज केक्टस और कांटों के होंगे, तो वे केक्टस और कांटे ही पैदा करेंगे। अगर बगीचे में कुछ भी न बोया गया, तो निश्चित है कि घास-फूस तो उग ही आएगी। इनसान को दो तरफ़ा प्रयास करने होंगे, पहला, अच्छे बीज मस्तिष्क के बगीचे में बोए जाएं और दूसरा, जो अवांछित खरपतवार, घास-फूस उग आई है, उसे उखाड़ फेंकें। ऐसा नहीं कि केवल प्रेम और सम्मान के ही बीज बोने हैं, वरन क्रोध और बैर की जो अनचाही झाड़ियां उग आई हैं, उन्हें भी समूल नष्ट करना होगा। व्यक्ति माली की तरह मस्तिष्क के बगीचे की निराई-गुड़ाई का पूरा-पूरा ख्याल रखे, वरना जंगली घासें ऐसी जड़ें जमा लेंगी कि उन्हें निर्मूल करना मुश्किल होगा। आप यहां आए हैं, तो संभव है कि ऐसी कुछ बातें मिल जाएं जो काम की हों। जो भी 'सार-सार' मिले, उसे ग्रहण कर लें और थोथा उड़ा दें। हर स्वीकार्य सोच और विचार को ग्रहण कर लें और शेष को एक तरफ़ कर दें। जैसा बीज बोओगे, वैसा ही फल पाओगे। आम के बीज बोओगे, तो आम के फल मिलेंगे और बबूल के बीज बोओगे, तो बबूल के 79 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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