Book Title: Lakshya Banaye Safalta Paye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 24
________________ अगर बुद्ध को अपने जीवन में दिव्य मार्ग न मिलता, तो वे बुद्ध नहीं, हिटलर या चंगेज़ खां ही होते। जो जीवन व्यक्ति के लिए महान वरदान के रूप में है, वह उसे सृजन का मार्ग देता है या विध्वंस का, बनाने का कौशल देता है या मिटाने का, यह स्वयं व्यक्ति पर ही निर्भर है। अगर कुदरत ने हमें वाणी दी है, तो नाव पर उतना ही भार इस वाणी द्वारा हम गीत गाते हैं या किसी वहन करें कि वह हमें को गालियां देते हैं, यह हम पर निर्भर किनारा दिखा सके। करेगा। किसी लाठी का उपयोग हम किसी अतिरिक्त लादा गया बूढ़े आदमी के सहारे के रूप में करना | भार नाव को मझधार में चाहते हैं या किसी की पीठ पर वार करके डुबोता है। उसको धराशायी करने में, यह हम पर -जए तो ऐसे जिएं र करता है। जो तीली घर के अंधेरे को भगा देती है, वही घर को जला भी सकती है। तीली का सदुपयोग या दुरुपयोग हम पर ही निर्भर है। आदमी चाहे तो अपने जीवन को स्वर्ग के आयाम दे सकता है और चाहे तो नरक मार्ग पर स्वयं को धकेल सकता है। इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि आप किस कुल में पैदा हुए और आपके पूर्वज कौन थे? महत्त्व इस बात का है कि आपने जीवन की कौन-सी समझ ग्रहण की? मैं एक ऐसे परिवार की मिसाल आपके सामने रखना चाहूंगा, जिसमें दो भाई थे। एक भाई अव्वल दर्जे का नशेबाज़ था, जो हरदम शराब में धुत्त रहता, अपनी पत्नी और बच्चों को मारता-पीटता, जो कमाता, सारा नशे में उड़ा देता। उसी का दूसरा भाई अपने बच्चों पर जान छिड़कता, पत्नी को बड़ी नाज़ों से रखता, उसके घर में किसी प्रकार की कमी नहीं थी, समाज में खूब मान-सम्मान था। मैंने उन दोनों भाइयों से मिलकर इसका कारण जानना चाहा कि आखिर एक मां की कोख से जन्म लेने वाली उन संतानों में इतना अंतर कैसे? ___मैंने शराबी भाई से कारण पूछा, तो उसने कहा, “अगर मैं अपने बच्चों को मारता-पीटता हूं, गाली-गलौज करता हूं, तो इसमें नई बात कौन-सी है? मेरा बाप भी ऐसा ही था। वह भी मेरी मां को ज़लील करता, हम बच्चों को खूब मारता-पीटता, सारे पैसे शराब में फूंक 23 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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