Book Title: Lakshya Banaye Safalta Paye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 34
________________ तुम किस जाति-कुल में पैदा हुए, इससे फ़र्क नहीं पड़ता। हरिजन कुल में पैदा हुए एक महानुभाव, जगजीवनराम भी देश का नेतृत्व कर सकते हैं। गौर करें, भारत के पूर्व राष्ट्रपति भी अनुसूचित जनजाति से जुड़े हुए हैं। हम अपने भीतर टटोलें कि आखिर वे कौन-से कारण हैं, जिनके चलते हम हीन भावना से ग्रसित हैं। अगर गरीबी के कारण हम कुंठित हैं, तो कुंठा निराधार है। देश के प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री और अमेरिका के राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन गरीब ही थे, पर उनके विकास में गरीबी कभी भी बाधक न बनी। अगर आपको लगता है कि आप सुंदर नहीं हैं, इस कारण कुंठित रहते हैं, तो देखिए, माइकल एंजेलो को, जो स्वयं कुरूप थे, पर उन्होंने चित्र इतने सुंदर बनाए कि उनके भीतर का सौंदर्य जग-जाहिर हो गया। विकलांग हैं, तो भी क्या, प्रसिद्ध संगीतकार रवींद्र जैन अंधे हैं। प्रसिद्ध कवि पोप अपंग थे। मध्यकालीन युग के महान कवि मलिक मोहम्मद जायसी आंख से काने और बदसूरत थे। हम उन श्रेष्ठ लोगों को आज भी याद करते हैं। उनकी सूरत के कारण न सही, पर उनकी सीरत आज भी संसार के लिए प्रेरणादायी है। मैं तो कहूंगा कि अगर जीवन में कोई कमी भी है, तो उसकी चिंता न करें, वरन सफलताओं के उन शिखरों को छूने की कोशिश करें, जो आपको सम्मानित बनाएं। आपकी सफलता की सुंदरता में कुरूपता दब जाए। आदमी यह सोचे कि मैं जैसा हूं, अच्छा हूं। अपने कार्य पर, अपनी कार्य-शैली पर गौरव करो और अगर लगे कि जीवन की शैलियां नकारात्मक हैं, तो उन्हें सकारात्मक बनाएं। हर कार्य को करते समय स्वाभिमान और आत्मगौरव के भाव से भरे हुए रहें। ऐसा करने से हमारी शक्ति दोगुनी हो जाएगी। आत्मविश्वास का संबल कभी कमजोर नहीं होना चाहिए। विश्वास और साहस हमारे जीवन की संजीवनी शक्ति बन जाए, आंखों की रोशनी बन जाए। तुम चले, तो आंधियां-तूफ़ान खुद ही चल पड़ेंगे। सागरों की बात क्या, हिमगिरि सरीखे ढल पड़ेंगे। मत समझना ये निशाएं तुम्हारा पथ रोक लेंगी, तुम जले, तो दीप क्या, सूरज हज़ारों जल पड़ेंगे। 33 For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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