Book Title: Lakshya Banaye Safalta Paye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

View full book text
Previous | Next

Page 41
________________ नुरुद्दीन ने कहा, 'जगडू शाह तूने अपने त्याग से सारी इसलाम कौम में वह जगह बनाई है, जिसे बनाने में हज़ारों-हज़ार वर्ष लग जाया करते हैं। वह नीला पत्थर उस मस्जिद के प्रवेश-द्वार पर जड़ा गया। हिन्दुस्तान में यही ऐसी मस्जिद है, जो हिन्दू लोगों द्वारा मुसलमानों के लिए बनाई गई थी। जगड़ शाह मस्जिद बनाकर अमर हो गए। आदमी, आदमी के साथ जी कर आदमी के लिए सदा-सदा अमर हो जाया करता है। बातें बहुत छोटी-छोटी होती हैं, इतनी छोटी कि जैसे बादल से बरसी हुई कोई बूंद हो, जैसे नदिया की कोई धार हो, जैसे बरगद का कोई बीज हो; जैसे कला के नायाब नमूने के लिए छोटी-सी कोई कल्पना हो। आदमी उन छोटी-छोटी बातों को जीकर ही सच्चा आदमी बनता है और आदमी, आदमी के दिल में अपनी जगह बनाता है। स्वभाव हो सौम्य हम औरों के दिलों में अपनी जगह कैसे बनाएं, इस संदर्भ में कुछ बेहतरीन चरण लें। हम जो पहला चरण लेंगे, वह है, स्वभाव में सौम्यता हो। स्वर्ग उन्हीं के लिए होता है, जो अपने घमंड और गुस्से को काबू में रखते हैं तथा जो पलती करने वालों को माफ़ कर दिया करते हैं। जो दयालु और क्षमाशील होते हैं, उनसे केवल आदमी ही प्यार नहीं करता, भगवान भी प्यार किया करता है। जिस आदमी के स्वभाव में सरलता और सौम्यता है, चित्त में एक सदाबहार शांति है, वह साधारण आदमी नहीं होता, बल्कि धरती के लिए देवदूत के समान होता है। वह आदमी औरों के दिलों में अपनी जगह बना ही लेता है, जिसका स्वभाव बड़ा सौम्य है, सरल है, कोमल है। हम ज़रा अपने स्वभाव को देखें कि वह सौम्य है या क्रूर, क्रोधित है या शांत, विनम्र है या घमंडी। कहीं ऐसा तो नहीं है कि ज्यों-ज्यों हमारे पास पैसा बढ़ता है, शिक्षा और ज्ञान बढ़ता है, समाज में मान-प्रतिष्ठा बढ़ती है, त्यों-त्यों हमारा घमंड भी बढ़ता चला जाता है। याद रखें, घमंडी का सिर हमेशा नीचा ही होता है। जिंदगी-भर भले ही हम दंभ पाले रहें, लेकिन मौत के आगे तो सिकंदर भी परास्त हो जाया करता है। एक पेड़ खजूर का होता है, जो इतना ऊंचा उठता 40 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122