Book Title: Lakshya Banaye Safalta Paye
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Pustak Mahal

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Page 13
________________ इच्छा-शक्ति का बिगुल बजाएं 1 I आदमी अपने जीवन में लक्ष्य का निर्धारण नहीं कर पाता, क्योंकि आदमी की इच्छा-शक्ति और आत्मविश्वास बड़ा कमजोर है । मनुष्य के जीवन में पलने वाली उसकी इच्छा-शक्ति उसकी मूल प्रेरक बनती है । वही उसके जीवन का मूल प्रोत्साहन बन पाती है । जिसके जीवन में संकल्प शक्ति और इच्छा-शक्ति सुदृढ़ और प्रबल है, वह व्यक्ति हर कठिनाई से लड़ सकता है। ऐसा ही एक व्यक्ति था, नेपोलियन । नेपोलियन कहता था कि उसके शब्द - कोष में 'असंभव' नाम का कोई शब्द नहीं है । इसी हौसले के बल पर वह दुर्गम घाटियों को पल-भर में पार कर जाता था । ऐसे ही एक और महानुभाव थे, सुकरात । एक बार सुकरात सरोवर में स्नान कर रहे थे। सुकरात से एक युवक ने पूछा, 'महाशय, क्या तुम यह बताओगे कि ज़िंदगी में सफल होने का राज़ क्या है?" युवक सुकरात तक पहुंच चुका था । उसने झट से युवक को पकड़ा और पानी में डूबो दिया। वह आदमी छटपटाने लगा। सुकरात ने अपनी सारी ताकत लगाकर उसे दबाए रखा, मगर युवक की सहन क्षमता जवाब दे गई । अंततः उसने पूरी ताकत लगाकर सुकरात को एक तरफ़ धकेल दिया । वह तालाब से बाहर की ओर भागा। बाहर निकलकर युवक ने सुकरात से कहा, 'तुम्हारी यह बदतमीजी अक्षम्य है, सुकरात ।' सुकरात ने हंसते हुए कहा, 'तुम अपने प्रश्न का समाधान भी चाहते हो और मरने से भी डरते हो। तुम ज़रा बताओ कि जब मैंने तुम्हें पानी में डुबोया, तो तुम्हारी अंतिम इच्छा क्या थी?' युवक ने कहा, 'तब मेरी एकमात्र इच्छा जीने की थी।' सुकरात ने तब कहा, 'सफलता के लिए इससे बड़ा और कोई मंत्र नहीं होता है, जहां आदमी के पास केवल एक ही इच्छा बच जाए और वह इच्छा जीने की इच्छा हो ।' इच्छा-शक्ति और आत्मविश्वास के बल पर ही लक्ष्यों को पाया जा सकता है । आत्मविश्वास से ही बड़ी से बड़ी चट्टानों को भी हटाया I Jain Education International 12 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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