Book Title: Kuvalaymala Part 02
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust

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Page 177
________________ १७४ (२६९) 1 संते वि सत्त-सारे धणियं अयसस्स बीहेमि ।।' ___ महिंदेण भणियं 'अहो अइमुद्धो तुमं । को एत्थ अयसो, किं ण कारणेण 3 परिसक्कइ जणवओ, किं कोऊहलेण ण दीसइ उज्जाणं, किं णिद्दोस-दसणाउ ण होंति कण्णाओ । किं ण होसि तीय सव्व-कारणेहिं अणुरूवो वरो, किं ण 5 वरिओ तीए तुमं, जेण एवं पि संठिए अयसो त्ति अलिय-वियप्पणाओ ___ भावीयंति त्ति । ता दे गम्मउ त्ति' भणंतेण पयत्तिओ कुमारो महिंदेण । संपत्ता 7 य तमुज्जाणं अणेय-पायव-वल्ली-लया-संताण-संकुलं । जं च चंदण-वंदण-मंदार-परिगयं देवदारु-रमणिज्जं । 9 एला-लवंग-लवली-कयली-हरएहिँ संछण्ण ।। चंपय-असोग-पुण्णाग-णाग-जवयाउलं च मज्झम्मि । 11 सहयार-महुव-मंदार-परिगयं बउल-सोहिल्लं ।। मल्लिय-जूहिय-कोरंटयाउलं कुंद-सत्तलि-सणाहं । 13 वियइल-सुयण्ण-जाई-कुजय-अंकोल्ल-परिगयं रम्मं ।। पूयय-फलिणी-खजूरि-परिगयं णालिएरि-पिंडीरं । 15 णारंग-माउलिंगेहिँ संकुलं णायवल्लीहिं ।। (२६९) तं च तारिसं उज्जाणं दिट्ठ रायउत्तेण । तओ तम्मि महुमास17 मालई-मयरंद-मत्ता महुयरा विय ते जुवाण परिब्भमिउमाढत्ता । पेच्छंति य मरगय-मणि-कोट्टिमाइं कुसुमिय-कुसुम-संकंत-पडिबिंब-रेहिराई पोमराय19 मणि-णियरच्चणाई च । कहिंचि सच्छ-सुद्ध-फलिह-मयाइं संकंत कयलीहरय-हरियाई महाणील-रयण-सरिसाई । तओ ताणि अण्णाणि य 21 पेच्छमाणा उवगया एक अणेय-णाय-वल्ली-लया-संछण्ण गुम्म-वण-गहण । __ ताणं च मज्झे एक अइकडिल्ल-लवली-लयाहरयं । तं च दद्रूण 'अहो, रमणीय' ___2) J काणणेण P कारणे, P om. किं, P adds किं before ण. 5) P om. तीय, P तीय, P संतिए for संठिए, P writes अयसो thrice. 6) J भाविअति त्ति, P गमउ, J भणितेण, P पयडिओ for पयत्तिओ, P संपती तमु०. 7) P अणिय for अणेय, P om. जं च. 8) P नंदणमदारपरिगतं. 9) P संछिन्नं. 10) J असोयपुण्णायणाय, P जंबुयाउलं. 11) P उव for महुव ( emended ), P परिययं, J बउल, P सोहल्लं. 12) P कोरटियाउं. 13) P विअइलसुवण्णजातीकुजय, J अगोल्ल, JP परिगरिअं (P व्यं), P om. रम्मं. 14) J पूअफलिणी. 16) P रायउत्ते ।, J मासलपहह for महुमास. 17) J मत्त, J त्तो for ते, P परिभमिउ०, P पच्छंति, Jom. य, P om. च. 19) P कहंचि. 21) P एक्क, Jom. णाय, P गुम. 22) P अइकुडिल्लयवल्ली.

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