Book Title: Kuvalaymala Part 02
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust
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(२८६) 1 हे हे पियंगु-लइए वारिजंती वि मुंच मा दइयं ।
एसो असोय-रुक्खो पेम्मेण ण हीरइ कयाई ।। 3 जाइ-विसुद्धा सि तुम चपय-दइयं ण मुचसे जेण ।
कुलबालियाओ लोए होंति च्चिय सुद्ध-सीलाओ ।। 5 इय एवं भणमाणी चिर-परिइय-पायवे खमाती ।
उव्वाह-बाह-णयणा रोत्तुं चिय सा समाढत्ता ।। 7 (२८६) संठाविया य सा सहियणेणं समागया णिय-भवणं । तत्थ वि
दिट्ठाई णाणाविहाइं घर-सउण-सावय-समूहाई, भणिउं च पयत्ता, अवि य । 9 मुद्धे ण जीवसि च्चिय मिय-रहिया य मईएँ तुमं मइया ।
ता पसरसु वच्चामो आउच्छसु जो सि दट्ठव्वो ।। 11 सारसि मरसि सरती मुंचामि कह इमो य ते दइओ ।
दोण्णि वि वच्चह एसो आवडिओ अंध-वुत्तंतो ।। 13 अण्णं रुइर-कलावं मोरं तुह मोरि वरिहिमो अम्हे ।
धीरा मा रस-विरसं परिहासो मे कओ मुद्धे ।। 15 हंसिणि सरस-सिणेहे णिय-हंसं भणसु हास-ससि-सरिसं ।
वच्चामु सामिणीए समयं सम-दुक्ख-सोक्खाए ।। 17 चक्काइ तुमं रयणिं दइय-वियोगम्मि णेसि मह पासे ।
ता वच्चसु मा णिवडउ विओय-वज्जासणी तुज्झ ।। 19 मा होंतु विसेण व ते चओरि णयणाइँ पिययम-विओए ।
गुंजाफल-सरिसाइं वच्चसु समयं पि दइएण ।। 21 पढ कीरि किंचि भणिया दइय-विओयम्मि पढिहिसि अलक्खं । ___पत्थाण-वजणि अणुहव-सरिसं विरह-वजं ।।
1) P देहे for हेहे, P व for वि, P माइमयं ।. 2) P पेमेण ण हीरति. 3) J जामि for जेण. 4) P सुद्धशीलेण ।।. 5) J खमाति. 6) P रोत्तं. 7) P समाए गया, Jom. णिय. 8) P दट्ठाई, P घरसवणसावइय. 9) P बुद्धे for मुद्धे, Jom. च्चिय, P च्चियर, हिता य, J मइए, P adds मए before तुम. 10) J ता परसु. 11) J पदइणु for ते दइओ. 12) P दोन्नि, J विवच्चसु. 13) P तुह पुत्ति मोरि धरिहामो ।. 14) P मुद्धो ।।. 15) P सरसिसिणेहे. 16) P सुह for सम. 17) P चक्काय, J विओअम्मि. 19) P मा होओ विमेण विते चउरिणयाणाई, J विसणवरे चउरिणयसाई विअयम. 20) J गुंजाहल, P मुंचसि तइयं for वच्चसु समयं. 21) P inter. किंचि & कीरि, P दय for दइय. 22) P पथाण, J मणुहव for अणुहव.

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