Book Title: Kuvalaymala Part 02
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust
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(२९६)
1 कुच्छिय-कम्मं रइयं तं पयडं होइ लोयम्मि ।।
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ण य जाणए वराओ अत्ताण - विडंबणं एयं ।। एसो पुण गायंतो लिहिओ णिव्वोल्लिएण वयणेणं । ण य जाणए वराओ एवं पलविज्जए सव्वं ।। एसो वि सहइ पुरिसो हा हा पयडाए दंत - पंतीए । 7 जंपि हसंतो बंधइ तं रोवंतो ण वेइ ||
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एसो वि रुयइ पुरिसो अंसु - पवाहेण मउलियच्छीओ | 9 अण्णं बंधइ पावं अण्णं वेएइ पुव्व- कयं ।। एसो वि धाइ पुरिसो तुरियं कज्जं ति किं पि चिंतंतो 11 णय जाणए वराओ मच्चू तुरियं समल्लियइ ।।
एसो मए सुयंतो लिहिओ अह णिच्चलेहिँ अंगेहिं । 13 किं सुयसि रे अलज्जिर मच्चू ते जीवियं हरइ ।। एसो वि मए लिहिओ मल्लो अप्फोडणं करेमाणो । 15 सारीर - बलुम्मत्तो इंदिय-विसएहिँ अह णिहओ ।। एसो विरूवमंतो अच्छइ अत्ताणयं णियच्छंतो । ण य चिंतेइ अउण्णो खणेण रूवं विसंवयइ || सो व धम्मत्त कंठय - कडएहिँ भूसिय- सरीरो । णय विगणेइ अयाणो कत्थ धणं कत्थ वा अम्हे ।। एसो कुल-मय-मत्तो अच्छइ माणेण थद्धओ पुरिसो । ण य चिंतेइ वराओ काओ वि इमो हवइ जीवो || एसो वि मए लिहिओ लोहुम्मत्तो अहं किर लहामि ।
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(२९६) एसो वि जणो लिहिओ णच्वंतो रहस-तोस - भरिय-मणो ।
2) P रोस for रहस. 4) J णिव्वोलिएण. 5 ) P जाणेइ, P एतं. 6) P वि सहइ. 7) J रोअंतो, JP वेतेइ. 10) P किम्मि for किं पि, J चिंतेंतो. 11 ) J जाई. 12) P अह निव्विलहिं. 13) J ए for ते, P वरइ for हरइ. 15) P इंदियवसएहिं अह निहिओ. 16) J वि रूअइमत्तो, P णिच्छंतो. 17 ) P ण इ चिंते, P खणेपण. 18) J तु for वि, P कणय for कंठय. 19) P चिंतेइ for विगणेइ, J अयणओ for अयाणो, P वणं for धणं. 20) P घट्टउ for थद्धओ. 21 ) P णइ चिंतेइ . 22 ) Printer. मए & वि.

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