Book Title: Kuvalaymala Part 02
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust
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(२८९)
२१७ 1 जह सुणओ तह सव्वे णाहर-जीवा भणंति सउणण्णू ।
अण्णे भणंति केई विवरीयं जंबुओ होइ ।। 3 मउयं महुरं वामो लवमाणो वायसो भवे सोम्मो ।
उत्ताल-णिट्ठर-सरा ण देति सिद्धिं भयं देति ।। 5 गोरूयस्स उ छीतं वजेज्जा सव्वहा वि जीय-हर ।
मजारस्स वि छीयं पत्तिय-जीयं विणासेइ ।। 7 सारस-रडियं सव्वत्थ सुंदरं जइ ण होइ एक्कस्स ।
वामं भणंति फलयं जइ सो य ण दीसए पुरओ ।। 9 इंदग्गेईजम्मा य णेरई वारुणी य वायव्वा ।
सोम्मा ईसाणा वि य अट्ठ दिसाओ समुद्दिठ्ठा ।। 11 अट्ठ य जामा कमसो होति अहोरत्त-मज्झयारम्मि ।
जत्थ रवी तं दित्तं तं दिसि-दित्तं वियाणाहि ।। 13 जं मुक्कं तं अंगारियं ति आधूमियं च जं पुरओ ।
सेसाओ दिसाओ पुण संताओ होति अण्णाओ ।। 15 दित्तेण तक्खणं चिय होइ फलं होहिइ त्ति धूमेणं ।
अंगारियम्मि वत्तं जइ सउणो रवइ तत्थेय ।। 17 सूराहिमुहो सउणो जइ विरसं रवइ दित्त-ठाणम्मि ।
ता जाण किं पि असुहं पत्थाणे कस्स वि णरस्स ।। 19 सर-दित्तं सुइ-विरसं सुइ-सुहयं होइ जं पुणो संतं ।
संतेण होइ संतं दित्ते पुण जाण दुक्खं ति ।। 21 पासाण-कट्ठ-भूती-सुक्कय-रुक्खेसु कंटइल्लेसु ।
एएसु ठाण-दित्तं विवरीयं होइ सुह-ठाणं ।।
1) J अह for जह, P inter. सव्वे and तह, P जीवो, J सवणण्णू P सउणंणू ।. 2) J विवरीतं. 3) P लवमाहो, P सोमो ।. 5) J गोऊअस्स च्छीतं P गोरूवसओ लच्छी तं वज्जेज्जा, J वजेजो, P जीवहरं. 6) J छीतं, J छीतं for जीयं, P जीतं विणासेंति. 8) P उण for य ण. 9) P इंदग्गेतीजमायणेरुती वारुणी. 10) P सोमा. 11) J अट्ठा य. 12) P _ for तं before दित्तं, P दिसित्तं. 13) P आहमियं. 14) P पुणो सत्थाओ. 15) P दित्ते तक्खणं, JP होहिति त्ति. 16) P रवति. 17) P सूराभिमुहो, P विरइ for विरसं, J रमइ for रवइ, P om. रवइ, P दित्तट्ठाणंमि ।. 19) P दिन्नं ति सुविरसं सुति. 20) P दित्त पुण. 21) P रक्खेसु. 22) JP एतेसु, P ट्ठाण, JP विवरीतं, P ट्ठाणं ।।.

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