Book Title: Kuvalaymala Part 02
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust

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Page 190
________________ (२७५) १८७ 1 तओ वत्ते य वद्धावणए किं जायं । संमाणिज्जति संमाणणिज्जे, पूइज्जति पूयणिज्जे, तोसिजति तोसणिज्जे, मंडिजति मंडणिज्जे, दिज्जए पणईणं, 3 पणामिज्जइ राईणं, उवणिज्जइ गुरूणं, पक्खिजए जणवयाणं, अप्पिज्जए अंतेउरियाणं, पेसिज्जए णायरियाणं, दिज्जइ य अगणणिज्जं जहाभिलसियं धणं 5 दीण-वणीमय-किमिण-पणईणं ति । अवि य । दिजउ देसु पडिच्छसु गेण्हसु पक्खिवसु दे पडिच्छाहि । 7 मग्गसु भणसु जहिच्छं इय हलबोलो वियाहम्मि ।। (२७५) तओ णिव्वत्ते वद्धावणए महिए सुर-संघे सुपूइए गुरुयणे सव्वहा 9 कए तक्काल-पाउग्गे करणीए विरइया कुमारस्स वासहरए महरिहा सेज्जा । अवि य । 11 रयण-विणिम्मिय-सोहा मुत्ताहल-णियर-रेहिरा धवला । खीरोदहि-वेला इव रइया वर-विद्युमा सेजा ।। 13 तम्मि य सेजा-महोदही-पुलिणोवरे व्व रायहंस-जुवलयं पिव णिविट्ठ कुमार___जुवलयं ति कयाणि य आरत्तियादीणि मंगल-कोउयाणि । अच्छिऊण य कं 15 पि कालं परिहास-हसिर-लोयण-जुवलो सहियायणो अलिय-कय-वक्खेवो सइर-सइरं णीहरिउं पयत्तो । अवि य । 17 अलिय-कय-वावडत्तण-विक्खेवो दिण्ण-महर-संलावो । अवरोप्पर-कय-सण्णो णीहरिओ से सही-सत्थो ।। 19 तओ कुवलयमालाय वि भणियं । ___ ‘मा मा मुंचसु एत्थं पियसहि एक्कल्लियं वण-मइ व्व ।' 21 ताहि भणियं । इय एक्कियाओं सुइरं पियसहि अम्हे वि होज्जासु ।।' 1) P om. तओ वत्ते य वद्धावणए किं जायं. 2) P पूइणिजे, P मन्निजंति मन्नणिज्जे, J दिज्जउ, P पणतीणं. 3) P पणामिज्जपरादीणं उवणिज्जए, P पक्खिणिज्जए, P उप्पिजए. 4) P णायराणं दिजए अगणिजं, J विज्जइ for दिज्जइ, P जहाहिलासियं. 6) J देसु पयच्छसु. 8) P णिवत्ति वद्धावणिए, P संघे पूइए, J गुरुअणो. 9) P पाउग्गकरणीए, P वासहरे, J महरिआ, P inter. सेज्जा and महरिहा. 12) P खीरोयहि. 13) P om. तम्मि य सेजा, P महोदहीपुलिणोअरे, P जुवलं. 14) P मंगलकोउ before मंगल, P कोउयाइ, P om. य. 15) J हरिस for हसिर, J जुअलो सहिअणो, J वअ for कय, P कयविक्खेवो (?). 16) J सरइर for सइर, J सइरण्णीहरिउं P सयरयणीहरिउं. 17) J सल्लावो. 18) P repeats सही. 19) P om. तओ कुवलयमालाय वि etc. to ववहारो पडुओ उत्तरवाइ त्ति on p. 191, L. 5 This passage is reproduced here with minor corrections like ya-sruti etc.

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