Book Title: Kuvalaymala Part 02
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust

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Page 183
________________ १८० (२७१) 1 लायण्ण-महागिरिवर-सिहरेसु व तीय अंस-देसेसु । हत्था अमय-विहत्था वीसत्थं सुत्थिया मज्झं ।।' 3 तओ महिंदेण सहासं भणियं ‘एरिसो तुमं । अण्णहा, बहु-दियह-मणोरह-पत्त-संगमालद्ध-दुलह-पइरिक्का । 5 वण-करिवरेण णलिणि व्व पाविया सा कहं मुक्का ।।' __ कुमारेण भणियं ‘वयंस, मा एवं भण। 7 गुरु-देव-दियादीहिं करग्गहं जा ण पाविया पढम । ___ जालोलि-जलिय-भीमं मण्णामि चिई व तं जुवई ।।' 9 महिंदेण भणियं ‘एवं एयं, अण्णहा को विसेसो सुकुल-दुकुलाणं' । ‘ता पयट्ट वच्चामो आवासं ति भणमाणा णीहरिया उज्जाणाओ, संपत्ता आवासं । तत्थ 11 य महाराइणा पेसियाओ अणेयाओ सिणेह-कारा जल-कलस-सुबंध-हाण गंध-वण्णय-तंबोल-वावडाओ वारविलासिणीओ । तओ ताहिं जहाविहि 13 मक्खिय-उव्वट्टिय-पहाविय-जिमिय-परिहिय-विलित्ता कया । तओ सुहासणत्थाण य संपत्ता एक्का विलासिणी । तीय उग्घाडिऊणं कणय-मय15 पक्ख-संजोइयं तंबोल-मच्छयं पणामियं कुमारस्स । भणियं च इमीए ‘इमं केण _ वि जणेण पेसियं तंबोलं' । तओ कुमारेण गहियं, णिरूवियं च जाव णियय17 णव-णक्ख-विणिम्मवियं तंबोल-पत्तेसु पत्तच्छेजं । तस्स य उवरिं पत्तक्खराई, सिरिकुवलयचंदस्स णामं लिहियं । तओ तं च वाइऊण कुमारेण भणियं 'अहो, 19 णिउणत्तणं कस्स वि जणस्स' । गहियं तंबोलं । तओ कुमारेणावि एक्कम्मि पत्ते णह-मुहेहिं रइयं सहस-सारस-चक्कवाय-णलिणि-सयवत्त-भमर-रिंछोलि-रेहिरं 21 सरवरं । विरइया य इमा गाहल्लिया । अवि य । हियय-दइयस्स कस्स वि णिययण-दुक्खत्त-भत्ति-चित्तलियं । 1) Jom. व, P तीययंस. 2) J हत्थ. 3) J हणियं for भणिय, P एसो for एरिसो. 4) P दियर for दियह, P adds अन्नहा before पत्त, P दुक्ख for दुलह. 5) P वरेणे for ०वरेण, P कहिं for कह. 6) P भणह for भण. 7) J देवदियाहि. 8) P जालोलियभीम. 9) J अण्णह को. 11) P om. य, P om. अणेयाओ, P सणेह, P om. कारा, Jom. जल, P सुगंध, J om. गंध. 12) P वाडाओ, P तेहिं मंक्खियउवट्टियण्हविय. 14) P कणगमयमक्ख. 15) J तंपूल for तंबोल. 16) P णिययकरणिक्खनिम्मलवियतंबोलपत्ते. 17) P om. य. 19) P कस्सइ जणस्स, P णक्कं पि मि for एक्कम्मि. 20) Jणस for णह, P सार for सारस. 22) P दुइयस्स, Jणिअयलहक्कंततरुति, P चित्तेलियं.

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