Book Title: Kaviratna Satyanarayanji ki Jivni
Author(s): Banarsidas Chaturvedi
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag

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Page 9
________________ ब्रज-कोकिल स्वर्गीय सत्यनारायण कविरत्न बा ब्रज-कोकिल की बानी। रसिक जनन की हिय हुलसावनि, काव्य-कुंज की रानी। बा ब्रज-कोकिल की बानी । तिलक, रबीन्द्र, गोखले, गाँधी मालवीय ने मानी, सुनि सरोजिनी ने सुख पायो जन-जनता ने जानी बा ब्रज-कोकिल की बानी ।। जनम भूमि-गुन-गरिमा गाई, औ, दुरदसा बखानी, पराधीनता त्रास ह्रास को, मुक्तिमयी मति ठानी बा ब्रज-कोकिल की बानी। गूंज गयी कविता-कानन मे, कल काकलि कल्यानी, सरल, सुबोध, सफल सुख दायिनि सुन्दर सबरससानी बा ब्रज-कोकिल की बानी। कीरति छाँकि सिधारो सुरपुर, कवि गायक, गुरु, ज्ञानी, सेस रह गयी सत्यनरायन की अब अमर कहानी-- बा ब्रज-कोकिल की बानी । शंकर सदन --रिशंकर शर्मा आगरा

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