Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
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५६८
कातन्त्रव्याकरणम्
पृ०सं०
२६५
३८७
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३६२
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१४३
१४३
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१४३
२७९
३८८
३८८
४५५
क्र०सं० शब्दरूपाणि १५१. अवसेयात् १५२. अवसीयते १५३. अवस्खदयति १५४.
अवादीत् १५५. अविदुः १५६. अवीवदत् १५७. अववक १५८. अवोचः १५९. अवोचत् १६०. अव्यथि १६१. अव्याथि १६२. अवार्जात् १६३. अशशासत् १६४. अशिशिषते १६५. अशिश्रियत् १६६. अशिश्वयत् १६७. अशृशवत्
अशरत १६९. अश्वर्यात् १७०. अश्वसी: १७१. अश्वसीत् १७२. असत् १७३. अमि १७४. अमृष्पत् १७५. अस्थात् १७६. अस्थायि
पृ० सं० | क्र०सं० शब्दरूपाणि
५८ १७७. अस्थायिष्यत ५७/ १७८. अस्मरिष्यत् १०८ १७९. अस्राक्षीत्
१८०. अस्वपी: १८१. अस्वपीत्
१८२. आख्याता ३२६ १८३. आख्यास्यति
| १८४. आख्यास्यते ३६५ १८५. आघ्नते ११० १८६. आञ्जिष्टाम् ११० १८७. आञ्जात् २५२ १८८. आटत् २२६ १८९. आटिटत् ३९४ १९०. आटिष्यत् १६२ १९१. आीत् २६ १९२. आचख्ये
२६ १९३. आचख्यो २१३. २६२ १९४. आचचक्षे
२५२ १९५. आचष्टे ३६२ १५६. आचामति ३६२ १९७. आदः २५४ १९८ आदत् २९४ १९९. आर्दाधिता
१९ २००.. आदीधीत् १४५१ २०५. आदीध्यक: २६४ २०२. आदर्दीध्यते ।
४८१
४५५
४५५
१४४
१४४
१६८.
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२९८
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