Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 647
________________ ४५ ७२४. लुग्लापमार ७२ परिशिष्टम्-६ ६०९ क्र०सं० विशिष्टशब्दादिकम् पृ०सं० | क्र०सं० विशिष्टशब्दादिकम् पृ०सं० ७१९. लाघवार्थम् १७२ ७४५. वर्णग्रहणम् ४१४ ७२०. लिङ्गविषयत्वात २९५ ७४६. वर्णविकार: ७२१. लिङ्गार्थम् २२३/७४७. वर्णाः ३६७ ७२२. लिङ्गार्थमेव २४१] ७४८. वर्णान्तस्य विधिः ८५,२२१ ७२३. लुक्शब्दोऽव्युत्पन्नः १७३ ७४९. वर्णैकदेशास्तु ३६६,३६७ लुग्लोपपरिभाषा वर्णच्छायानुकारिणः. ७२५. लोकः २, ८३/७५०. वर्तमाना ७२६. लोकतः १, ३३५,३६९,४२६/७५१. वस्तुक्षतिः ३१८ ७२७. लोकत: सिद्धः १४२.३५७/७५२. वस्तुत: ३११ ७२८. लोकत: सिद्धम् ४५७, ७५३. वस्तुतस्तु ६६,७६,९०, ७२९. लोकप्रसिद्धः ३३३/ १६१,१९०,२२३, ७३०. लोकव्यवहारः ४१५,४३८,४६६ ७३१. लोके ८३,१३९.३६० ७५४. वाक्यकारसम्मतमेतत् ४७३ ७३२. लोकोपचारात् २१६/७५५. वाक्यकारस्य दर्शनम् ३८४ ७३३. लोप: ३१६/७५६.. वाक्यप्रबन्धः २४२ ७३४. लोपार्थम् १७२/ ७५७. वाक्यभेदः ४२ ७३५. लौकिक: ३२५. ३५५/७५८. वाक्यम् ७३६. वक्तव्यम् २८ ०.४२६/७५५. वाक्याध्याहारः ४२५,४२६ ७३७. वक्रोक्तचार्थः १५४ ७६०. वार्णात् प्राकृतं बलीयः १५४ ७३८. वचनप्रामाण्यात् २२१७६१. वाशब्दोऽत्र समुच्चये १०९ वचनादिः ३५८ ७६२. विकरणः ६४,१५५, ७४०. वधिः प्रकृत्यन्तरम् ११० २४०,३५६,४८० ७४१. वयोहानिः ५, ८५.२८२/७६३. विकरणत्वम् १४७ ७४२. वरणम् ४२२|७६४. विकरणम् ३५,७५,९५,१५१, ७४३. वरमक्षराधिक्यम् १०२. ५.. १८९,२०२.२९२ ७४४. वर्गान्त: ४०९/७६... विकरणम्य १४६ २५ ७३९.

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