Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
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५७६
कातन्त्रव्याकरणम्
०
४११
२९०
५०,४१०
०
५६९.
४४०
४३५
४११
४३५
३७५
ज
३७५
३७५
३७५
क्र० सं० शब्दरूपाणि ५६६. दुग्धि ५६७. दुग्धे ५६८. दुदुहतुः
दुदुहाते ५७०. दुदुहिरे ५७१. दुदुहुः ५७२. दुदुहे ५७३. दुषति ५७४. दुद्रुम ५७५. दुद्रुव ५७६. दुधुक्षति ५७७. दुष्यते ५७८. ५७९. दुहित्रीयते ५८०. दुह्यात् ५८१.
दुह्यास्ताम् ५८२. दूषयति ५८३. दृशदिता ५८४. दृशधिता ५८५. देग्धा ५८६. देध्मीयते ५८७. देभतुः ५८८. देयात् ५८९. देष्टा ५९०. देहि ५९१. दोग्धा
दुहन्ति
पृ० सं० क्र० सं० शब्दरूपाणि
१९० ५९२. दोष्टा १८३,४७८ ५९३. द्यति
१८६ ५९४. द्रष्टा १८७ ५९५. विडि १८७ ५९६. द्विष्टः १८६५९७. द्वेष्टा १८७ ५९८. द्वेष्टि ४१७ ५९९. धत्तः ४२१ ६००. धत्ते ४२१६०१. धत्थः ३७२ ६०२. धत्से १६२ ६०३. धद्ध्वे १८४६०४. धनुष्यति
१२०/६०५. धाता १८८,१८९ ६०६. धावति
१८८६०७. धिप्सति १०५/६०८. धीप्सति
धीयते | ६१०. धूनयति ४१३ ६११. धेयात्
१२६ ६१२. धेहि ९१, २३८ ६१३. धोक्षि
५८ ६१४. ध्वस्यते ४१० ६१५. नत्स्यति
८५ ६१६. नद्धा ४१३,४३९ ६१७. नन्ता
४७२
३८
३५०
४१७ ३७२,४१७
३१६६०९.
२७३
५८
८५
४४१
२३४
३२८
३२८,४१३
४०९

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