Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
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५९२
क्र० सं० शब्दाः मित्रशी:
९९.
१००. रलन्तम्
१०१. रलम्
१०२. लावक:
१०३. लुक्
१०४.
लोपः
१०५.
लोहिताय
१०६. लोहिनीयते
१०७. वादेशः
१०८.
१०९.
११०.
१११.
११२.
विचक्षणः
विधिः
वृत्तिः
व्यपदेश:
श्येतायते
कातन्त्रव्याकरणम्
पृ० सं० | क्र०सं० शब्दाः
८२,४७३ | ११३.
२५०, २५१ ११४.
२५०, २५१ ११५.
११६.
९३
११७.
११८.
११९. सामग्री
१२०. सौमी ऋक्
१२१. स्वरान्ताः
षण्मुखानि
षत्वभूतः
संयोगादेः
संस्था
सन्ध्यक्षरान्तानाम्
समानलोपः
१४६,१७३
३१०
३३३
३३३
२७३
१४३
४७१ १२४.
२७१ १२५. हे कारीषगन्धीमात !
२२० | १२६.
३३३ १२७.
१२२. स्वापः
१२३. स्वापयति
हरिता
हम्य:
हम्यन्ताः
पृ० सं०
४२८
४७५
२५६
५३
३६
२१९,२२०
३०७
३०६
२४४
३०
२९
३३३
o
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