Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 634
________________ ५९६ कातन्त्रव्याकरणम् ३४६ क्र०सं० विशिष्टशब्दादिकम् पृ० सं० क्र० सं० विशिष्टशब्दादिकम् पृ० सं० १३६. असार्वधातुकम् १५१, १५२, १५४. आत्मने १६६, १७२, १८६, ३९०,३९६ १९५,२०९,२७८ १३७. असार्वधातुके १२८,१३९, १५५. आत्मनेपदम् ४४,३५० ३९८ १५६. आत्मप्रवृत्तिः ३२ १३८. असिद्धम् १०१ १५७. आदरे १२० १३९. असिद्धवद्भाव: १०३ १५८. आदिचतुर्थत्वम् १६३, ३७१ १४०. अस्यायमर्थः ७०,१०५, १५९.. आदिशब्द: समीपवचनः ३२७ २०५ १६०. आदिशब्दस्य व्यवस्था ३६१ १४१. अस्यार्थः ४५,४६,७६,७९, १६१. आदिशब्दोऽवयवार्थः ४६६ २२८,२९५,३३५ १६२.. आदेश: १४२. आकाक्षा १२७/१६३. आदेशाः २०४, ३२१,४०६ १४३. आख्यातम् २०४|१६४. आद्यन्तवद्भावात् ३२७, ३७१ १४४. आगम: १२०,२६०, १६५. आद्यव्याकरणमतम् ४४१ २७३, ३४६ १६६. आध्यानम् १४५. आगमग्रहणं सुखार्थम् १९७/ १६७. आनर्थक्यप्रसङ्गात् १४६. आगमविधिः १९९, २०५, १६८. आन्तरतम्यात् २६१ ४०६, ४१९/ १६९. आप्तिभावत्वम् ३३५ १४७. आगमशासनम् ३१३, ३६०, आप्यायनम् ४०७, १७१. आभीक्ष्ण्यम् ४५, १०९,३४३ १४८. आगमशासनमनित्यम् । | १७२. आर्मदनम् ३९२,३९३ १७३. आमर्षणम् १४९. आगमस्यानित्यत्वात् ३९० | १७४. आयुघृतम् २७ १५०. आगमा: २९३, ४५० १७५. आरम्भे ३७९ १५१. आगमार्थम् ५१. २१२ १७६. आर्धधातुकम् १५३ १५२. आचरितेन ३१ १७७. आर्षप्रयोगः १९० १५३. आच्छादनम् ४११, ४६५/ १७८. आशङ्कार्थः १०५ ३८९ २१६ २३५ ४९ ६२

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