Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
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६०६
कातन्त्रव्याकरणम्
४७०
बलवत्त्वम्
२५७
४२६
१४०
५९०.
क्र०सं० विशिष्टशब्दादिकम् पृ०सं० क्र०सं० विशिष्टशब्दादिकम् पृ० सं० ५८०. प्रयोगनिवृत्त्यर्थम् ४५, १३०, ६०५. बन्धनम् १४०,१४१,३४९ ६०६. बन्धिः
४८२ ५८१. प्रयोगनिषेधार्थम् ३४९ ६०७.
४१९ ५८२. प्रयोगानुसरणाश्रयणम् २३२ ६०८. बलवान् २२५,३०४ ५८३. प्रयोजनम् ३२,३८.१६८ ६०९. बहिरङ्गः ५८४. प्रलम्भनम्
४६ ६१०. बहिरङ्गम् १०१, १२२, ५८५. प्रवृत्तिनिमित्तम् ३३४
१२८,२५६ ५८६. प्रवृत्तिनिवृत्ती १११ ६११. बहुलार्थत्वात् ५८७. प्रश्नाख्याने
बाल:
४,२७७ ५८८. प्रसज्यप्रतिषेधः ३६४ ६१३. बालव्युत्पत्त्यर्थः १४० ५८९. प्रसारणम् ४६१४. बाला:
४८५ प्रस्रवणम्
३१५/ ६१५. बाहुल्याश्रयणमेव श्रेयः ४७१ ५९१. प्राकृतम् २०७, २२६,२३९ ६१६. बुद्धिस्थम् ५९२. प्राणिगर्भविमोचनम् १७५ ६१७. बुधैः ५९३. प्रादुर्भाव:
१०५/६१८. बुभुक्षा ५९४. प्रादुर्भावार्थः २७५ ६१९. बोधगौरवनिरासार्थम् १२३ ५९५. प्रापणम् १२२,२६७,४२२ ६२०.
३०० ५९६. प्राप्तिपूर्वकत्वात् प्रतिषेधस्य १६३ ६२१. भयम्
१५९ ५९७. प्रायोगिकपरिग्रहार्थम् ४४६ ६२२. भरणम् ५९८. प्रीणनम् ४९,२४७.४०८ ६२३. भर्जनम् प्ररेणम् १९१,२०२.२४७/६२४. भर्तृहरिः
२७१ ६००. प्लवनम् ८९ ६२५. भर्त्सनम्
२१८ ६०१. फलम् १२१, १८२.२८६ ६२६. भाक्तो निर्देशः ६०२. फलमभ्युदयलक्षणम् ४६ ६२७. भावकर्मणी ११०,३८४ ६०३. फलविरह: ४१५ ६२८. भावप्रत्यय:
४७५
१०९
or
w
१२७
m
ब्राह्मणी
०
०
४१६
४४१
५९९.
०
४२५
६०४. फाण्टम
१०७६२९. भावसाधन:
४७१

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