Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
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९२.
१८०
परिशिष्टम्-६
५९५ क्र०सं० विशिष्टशब्दादिकम् पृ० सं० | क्र०सं० विशिष्टशब्दादिकम् पृ० सं०
अभिधानार्थम् २०७/ ११२. अर्थविवरणविस्तरः ४०१ ८९. अभिन्नबुद्ध्यर्थम् ९/११३. अर्धमात्रिक अभिप्रायः
३१,४५३ ११४. अर्यात् अभिप्रायापरिज्ञानात् २३५,३२७, ११५. अलंकारसौन्दर्यात् ३६० अभिभवः ४६ ११६. अवगाहनम्
२२५ अभिमतम् १४६/ ११७. अवतार:
२२२ अभिषवः ३१५, ३८८ ११८. अवधारणम्
१३० अभृततद्भावे ११५/ ११९. अवबोधनम् अभ्यवहार: १६५/ १२०. अवमोचनम्
३१५ अभ्यस्तम् १६५, ४८० | १२१. अवयवलक्षणा षष्ठी ४६५ ९८. अभ्यस्तानाम् १५६, १५८ १२२. अवयवार्थ:
३२३ अभ्यासः १०, २२७/ १२३. अवयवावयविव्यवहारः ३२७
अभ्यासनिवृत्तिः १५/ १२४. अवयवावयविसम्बन्धः ३७१ १०१. अभ्यासलोपः ८४,८९, १२५. अवर्णः सर्वमुख०
२०६.२३७/ १२६. अवसादनम् ३५१ १०२. अभ्यासविकाराः २. ८६/ १२७. अवस्थाने
१२० १०३. अभ्यासाधिकार
१२८. अविभक्तिकोऽयं निर्दशः ३८२ निवृत्त्यर्थम्
१५/ १२९. अविशेषात् सामान्यस्य १०४.. अयमभिप्राय: २२,३७६ ग्रहणम्
४११ अयमर्थः
३७६, १३०. अश्रुविमोचनम् १०६.
२९६ १३१. असन्देहार्थम् १७०,२१६, १०७. अयमेवाशयः १०८. अर्थकृतलाघवम् १११| १३२. असन्ध्यक्षरयो० १०९. अर्थभेदः
३६/१३३. असन्ध्यक्षरविधि: १९७ ११०. अर्थलाघव
२१११ १३४. असवणे १११. अर्थवद्ग्रहणम् ५५/ १३५. असहायवाची ८६
१००.
४५४
१०५.
अयमाशयः
२४६
२५८
२९४
४०६

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