Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 637
________________ _ ५१ परिशिष्टम्-६ ५९९ क्र०सं० विशिष्टशब्दादिकम् पृ० सं० | क्र० सं० विशिष्टशब्दादिकम् पृ०सं० २६९. काङ्क्षा २३३/२९२. क्षयः २७०. कान्तत्वव्यभिचारः ४०० २९३. गणकृतमनित्यम् ३०६ २७१. कान्तिः ५, ३९२ २९४. गणपठितार्थम् २७२. कामचारः ६५,२२० २९५. गणपाठशुद्ध्यर्थम् ४६५ २७३. काम्पिल्ले साधयति ४५/२९६. गणार्थम् ३०६ २७४. कारितम् २४,४५.१०४, २९७. गति: २५,५६,७७,९१ ११०,२२१,२५४,३०३ | २९८. गतिगन्धने १५ २७५. कारितलोप: १९५/२९९. गतिनिवृत्तिः ३४७,४६५ २७६. कारितव्यवधानम् १९५/३००. गतिवृद्धी २७७. कार्यसम्प्रत्ययः ४४८,४५४३०१. गत्यर्थम् २७६ २७८. कार्यार्थपक्ष: २०५/३०२. गन्धनम् २७२ २७९. कार्यार्थम् ४८२ | ३०३. गन्धोपादानम् १४८ २८०. कार्यित्वप्रतिपत्त्यर्थम् १ | ३०४. गवाजिनवत् ११२ २८१. कुटादिः ___५,१९३ ३०५. गात्रप्रक्षरणम् २८२. कुटुम्बधारणम् २३३/३०६. गात्रविक्षेप: ४६८ २८३. कृपणादिः ३६६, ३६७/३०७. गुण: १५१ २८४. कृपा ३६७/३०८. गुणपादः १५१,२२९ २८५. कौटिल्यमेव २८०/३०९. गुणप्रतिषेधार्थम् १६३ २८६. क्रमपाठः ८३१०. गुणरूपावधारणार्थम् २४५ २८७. क्रिया च धात्वर्थः ३७६, ३११. गुणवृद्धिबाधनार्थः १०१ २८८. क्रियातिपत्तिः ११०,१३६, ३१२. गुणवृद्धिस्थानम् ४०,४८ २२७,४५१३१३. गुणार्थं वचनम् २५४ २८९. क्रियाविनिमय: २९२/३१४. गुण्यर्थः ८८ २९०. क्रियासमभिहारः १८,२१,३०, ३१५. गुण्यर्थम् ५४,२६० ३२९,३८२/ ३१६. गुण्यर्थोऽयम् २९१. क्षमा ४७| ३१७. गौणः ४६५

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