Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 629
________________ ५९१ पृ० सं० १५४ ३०६७ ३०६ २६०७ ३३३ - 3333333333. www क्र०सं० शब्दाः ४७. गार्गकम् ४८. गार्गीयः गार्य: गाय॑यति गुण्यर्थः गुण्यर्थम् गोदः गोनोः ५५. चण्पर: जिहननीयिषति जिह्वायकयिषति ज्ञानभुट्टीकनम् त्वनाथ: त्वच्छुतम् ६१. दरिद्रः ६२. दशन: ६३. दादेः धातुसंज्ञाश्रितम् नलोपः ६६. नामिकरम् ६७. नाम्यन्तानाम् ६८. नायक: निजेगिल्यते नित्यात् ७१. नित्यात्वन्त: निमय: परिशिष्टम्-५ पृ० सं० क्र०सं० शब्दाः नैमित्तिकः ३०६/७४. नैषधिः ३०६ ७५. परस्वरः ३०६/७६. परिघः ___ १०७७. पलिघः २६० ७८. पांशुरम् पांशुलम् पारलौकिकम् २१९ ८१. पुंवत् ७९ ८२. प्रजिघाययिषति २६ ८३. प्रत्ययकृतम् ४२८ ८४. प्रनायक: ४२८ ८५. ४२८ ८६. ब्राह्मणः २८६ ८७. ब्राह्मणायते २३९ ८८. ब्राह्मणी ३२७ ८९. ३७६९०. भाव: ३१० ९१. भाषितपुंस्कम् ४६९| ९२. भित् १७८ ९३. भेदिता ९३ ९४. ३६८ ९५. मगधिता ४२२ ९६. मामास्मे ४२२ ९७. मास्म: ४०/९८. ww www orow m 99w" ० m mmm ० प्रमय: ४० ३०० ३३३ भयम् ३३३, ४०४ ४०४ भ्राज: २२४ ६९. ३१७ ४५९ ४५९ मास्मम ४५९

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