Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 623
________________ ५८५ १७५ १७५ १७५ ४०८ २० १३ १३, ४७३ ३१,४७६ परिशिष्टम्-३ क्र०सं० शब्दरूपाणि पृ० सं० क्र०सं० शब्दरूपाणि १०३४. समस्थित्वम् ४६३ १०६०. सुन्वः १०३५. समस्थिते १७३,१९६,३२२ १०६१. सुन्वन्ति १०३६. समस्थिषाताम् १७३, १९६ १०६२. सुप्यते १०३७. समीधाते २३८ १०६३. सुप्यात् १०३८. समाधिरे ____२३८ १०६४. सुवामहै १०३९. समीधे २३८ १०६५. सुवावहै १०४०. सर्पिष्यति ४७२ १०६६. सुर्वे १०४१. सप्र्ता | १०६७. सुषुपतुः १०४२. ससृम ४२१/ १०६८. सुषुप्सति १०४३. ससृव ४२१ १०६९. सुष्वपिथ १०४४. सस्मरतुः २५७/ १०७०. सुष्वाप १०४५. सहते ४६७ १०७१. सुष्वापयिषति १०४६. साद्धा ४०६ १०७२. सुस्नूषति १०४७. साययति २६६ १०७३. सुस्रुम १०४८. सास्मर्यते १२४/१०७४. सुस्रुव १०४९. सिञ्चति ४६७/१०७५. सेक्ता १०५०. सिषासति ४१८/१०७६. सेद्धा १०५१. सिषेधयिषति ४७६ १०७७. सेसिम्यते १०५२. सिषेव ४७३ १०७८. सहे १०५३. सिसनिषति ४१८/१०७९. सोढा १०५४. सिस्मयिषते ३९३ १०८०. सोषुप्यते १०५५. सीदति ३५१ १०८१. स्कन्ता १०५६. सीव्यति ४४९| १०८२. स्त: १०५७. सुनु ६५, १९०/ १०८३. स्तुतः १०५८. सुनाति १५३ १०८४. स्तुते १०५९. सुन्म: ६८।१०८५. स्तुवन्ति ४१५ ४२१ ४२१ ४०१ ४०६ ४३८ १८ ४०५ ७३ १८४ १८३,४७८ १८५

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