Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 622
________________ ५८४ कातन्त्रव्याकरणम् पृ०सं० २४ ४११ ३३६ १०८ ९१, २३८ ० ४११ ९८ ३८१ शिश्वियतुः ३८१ ४२९ ३४२ ३४४ क्र०सं० शब्दरूपाणि ९८२. शातयति ९८३. शाधि ९८४. शाम्यति ९८५. शाययति २८६. शिश्वयिथ ९८७. शिश्वाय शिश्वाययिषति ९८९. ९९०. शिश्वियुः ९९१. शिष्टः ९९२. शिष्यते ९९३. शिश्रयिषति ९९४. शिश्रियतुः ९९५. शिश्रीषति ९९६. शीयते ९९७. शुशाव ९९८. शुशावयिषति ९९९. शुशुवतुः १०००. शुश्रुम १००१. शुश्रुव १००२. शेते १००३. शेरताम् १००४. शेरते १००५. शेश्वीयते १००६. शेष्टा १००७. शोद्धा पृ० सं० | क्र० सं० शब्दरूपाणि २७५ १००८. शोशूयते २०८ १००९. शोष्टा ३४१ १०१०. श्येतायते २६६ १० ११. श्रमयति १७/ १० १२. श्रेथतुः १७,२४ १०१३. श्लेष्टा २५/ १०१४. श्वसित: १७,२४, १०१५. श्वसिति १७ १०१६. षण्मुखानि ८३ १०१७. ष्ठीवति ८३,४७४ १०१८. संगच्छते ४१७ १०१९. संविव्यतुः ९३ १०२०. संविव्ययिथ ४१७/ १०२१. संविव्याय | १०२२. संविव्युः २४ १०२३. संवुवूर्षते २५ १०२४. संस्कर्ता २४ १०२५. संस्था ४२१ १०२६. सगयति ४२११०२७. सङ्क्ता २६२ १०२८. सजति २६२ १०२९. सञ्चस्कार २१३ १०३०. सत्ता २४|१०३१. सन्ति ४११) १०३२. समपादि ४०६ १०३३. समस्कार्षीत् ३ ० G. - ०० 2m www ० < < < ५४ २४० २१३. २ ४२७ ४०५ ३०६ ४२७

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