Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 620
________________ ५८२ क्र० सं० शब्दरूपाणि लीढः ८७८. ८७९. ८८०. ८८१. लुनाति ८८२. लुनीते ८८३. लुम्पति ८८४. लुलविथ लुनताम् लुनने ८८५. लुलाव ८८६. लुलूषति ८८७. लुवन्ति ८८८. लेक्ष्यति ८८९. ढा ८९०. लेप्ता ८९१. लेष्टा ८९२. लोढा ८९३. लोप्ता ८९४. लोलूयते ८९५. वक्ता ८९६. ८९७. वङ्गाः ८९८. वत्स्यति ८९९. वध्यात् ९००. ९०१. वनयति ९०२. . वपुष्टरम् ९०३. वपुष्टा वक्ष्यति वध्यास्ताम् कातन्त्रव्याकरणम् पृ० सं० क्र०सं० शब्दरूपाणि ४३५, ४३७ ९०४. २११९०५. २११ | ९०६. ३५३ ९०७. ७८ ९०८. १९८ ९०९. ४८२ ९१०. ववतुः वप्ता वमयति वयनीयम् वर्तिता वर्तिष्यते वर्धते २४४, ४८२ ९११. ववमतुः ववमिथ ९४ ९१३. वविथ १८२,४१५.४७२ ९१२. ३२६, ४३३ ] ९१४. ववुः ३२६, ४१३ ९१५. ववृमहे ववृवहे वव ४०८९१६. ४१० | ९१७. ४१३ | ९१८. ४०८|९१९. वव्रश्चतुः वव्रश्चः वस्ता वस्त्रीयति १६२ ९२०. १४२,३२५, ४०१ ९२१. १४२ ९२२. वाच्यम् ४७८९२३. वाययति ३६४ ९२४. वावश्यते १३२ | ९२५. विचति १३२ | ९२६. विच्यते १०८९२७. विजिग्ये ४३५ ९२८. विददरतुः ४३५ ९२९. विददरुः पृ० सं० ४०८ १०८ १४५ १५५ १५५ १५६ १७ ९२ १७ १७ १७ ४२१ ४२१ १६ ३५ ३५ ४१२ १२७ १४२ २६६ ३४ ८ ७ २८२ २५९ २५९

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