Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
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५७५
पृ०सं० ३८,३९७
३४१
२६५
२६५
२६५
क्र०सं० शब्दरूपाणि ५१५. त्यक्ता ५१६. पाते ५१७. पिरे ५१८. पे ५१९. त्वच्छृतम् ५२०. त्वनाथ: ५२१. त्वष्टिः ५२२. त्वेष्टा ५२३. दग्धा ५२४. दत्ते ५२५. ददति ५२६.
ददतु ५२७. दददाते
परिशिष्टम्-३ पृ० सं० | क्र०सं० शब्दरूपाणि ४०३ ५४१. दाता ९१) ५४२. दाम्यति ९१ ५४३. दायिता ९१ ५४४. दायिषीष्ट ४२९ ५४५. दायिष्यते ४२९ ५४६.
दास्यति ३२४५४७.
दिग्यिरे ४११ ५४८. दित्सा ४१२५४९. दिदम्भिषति ७५ ५५०. दिदरिद्रासति
दिदरिद्रिषति ५५२. दिदरिषते
दिदेविषति
१६६,३६४
४१७
४१८
५५१.
४१८
३९४
४१७
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३०
५५४. दिद्यते
५२९. दददे
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६४
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२८
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दिद्युत्यते ५५६. दिद्योतिषते
दिधरिषते दीयते दीव्य दीव्यति
दीव्यन्ति ५६२.
दीव्यामः | ५६३. दीव्यामि ०५६४. दीव्यावः
४४९
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२९७
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५३२. दरिद्रः ५३३. दरिद्रयति ५३४. दरिद्राते
दरिद्रितः ३६.
दरिद्रिथः ५३७. दरिद्र्यात् ५३८.
दशति ५३९. दंष्ट्रा ५४०. दातव्यम्
०
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४४४
२८७
४४४
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१८४
३९७/५६५.

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