Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 615
________________ परिशिष्टम्-३ ५७७ पृ०सं० १९० ४०४ १५३,३९८ १६४ ८७ ८८ नेमुः ८७ नेष्यति ३९८ ३०९ स नोत्ता ४०५ ६५४. ३५४ ४०१ क्र०सं० शब्दरूपाणि ६१८. नमति ६१९. नमयति ६२०. नयति ६२१. नरीनृत्यते ६२२. नष्टः ६२३. नष्टवान् ६२४. नाययति ६२५. नाव्यति ६२६. नाव्यते ६२७. निगरणम् ६२८. निगलनम् ६२९. निघोक्ष्यते ६३०. निजेगिल्यते ६३१. निनदिथ निनाय निनीषति ६३४. निन्यतुः ६३५. निन्यिरे निन्युः ६३७. निपपरतुः निपपरु: निमाता ६४०. निमापयति ६४१. नीयते ६४२. नुदति ६४३. नुनृषति पृ०सं० क्र०सं० शब्दरूपाणि ४६९ ६४४. नुहि १०८/६४५. नेक्ता १५६,४६८/६४६. नेता १६२/६४७. नेनिजानि २३४ ६४८. नेमतुः २३४६४९. नेमिथ २४३ ६५०. ६५१. ६५२. नैषधिः ६५३. नौति ३७३ ६५५. पक्ता ३६९ ६५६. पच ९२,४८२६५७. पचन्ते २४४,४८२ ६५८. पचाम: १८१६५९. पचामि ९८,१८६,४८२ ६६०. पचाव: ९८ ६६१. पचे ९८,१८६६६२. पचे: २५९/६६३. पचेत् २५९/६६४. पचेताम् ४१६६५. पचेथाम् ४२ ६६६. पर्चते १६२/६६७. पचेथे १९१६६८. पचेयम् १८२.४१५/६६९. पचेयुः ६४ २९७ ४४४ ६३२. ४४४ ६३३. ४३१,४४४ २९७ ३३९ ६३६. ३३९ ३३७,३३९ ६३८ ३३७ ک ३३८ ३३८ ३४० ३४०

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