Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 616
________________ ५७८ क्र० सं० शब्दरूपाणि ६७०. पञ्च ६७१. पटूकरोति ६७२. पटूयति ६७३. पठ ६७४. पत्ता ६७५. ६७६. ६७७. ६७८. ६७९. पपुः ६८०. पपौ ६८१. पथीयति पपतुः पपाच पपिथ कातन्त्रव्याकरणम् परिचस्कार परिष्करोति पृ० सं० क्र०सं० शब्दरूपाणि ४७८ | ६९६. पिपिक्षति ११७ ६९७. पिपृच्छिषति ११६ | ६९८. पिबति ६४ | ६९९. पीयते ४०५ ७००. ३१३ ७०१. पुनाति पुनीते ४८१ | ७०२. पुपुवतुः २४३/७०३. पुपूषति पुपूर्षति पुंस्यति पेक्ष्यति ५५ ७०४. ५३ ७०५. २१५७०६. ३५ ७०७. पेचतुः ३५ ७०८. पेचिथ ४२७ ७०९. पेचुः ४७३ ७१०. पप्रच्छतुः ६८२. पप्रच्छुः ६८३. ६८४. ६८५. परिष्कर्ता ४२७७११. ६८६. परिस्खदयति १०८ | ७१२. ६८७. परिष्वजते २४० - ७१३. ६८८. पर्यस्कार्षीत् ४२७७१४. ६८९. पश्यति ३४८ | ७१५. ६९०. पाचयति २४३ ७१६. ६९१. पाययति २६६ | ७१७. ६९२. पालयति, पिण्ड्ढि २७०, ४३५, ७१८. प्रष्टा ६९३. पित्सति ४१८ | ७१९. प्रस्नविता ६९४. पिपतिषति ४१८ | ७२०. प्रस्नविष्यति ६९५. पिपविषते ३९३ । ७२१. प्रह्मलयति पेपीयते पेयात् पेष्टा पोष्टा प्रक्ष्यति प्रज्वलयति प्रमाता प्रमापयति पृ० सं० ४३३ २१,३९४ ३४५ ५७ ३५३ ७९ ९३ ४१५ २१८ ३१३ ४३३ ८७ ८८ ८७ २२ ५८ ४११ ४११ ३३२,४०२ १०८ ४१ ४१ ३३२,४०२ ३७९ ३७९ १०८

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