Book Title: Katantra Vyakaranam Part 03 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 611
________________ परिशिष्टम्-३ ५७३ १०८ ४१५. १०८ کیا ८४ १ क्र०सं० शब्दरूपाणि पृ० सं० क्र०सं० शब्दरूपाणि पृ०सं० ४११. चेकीयते ___ २१, ४३७. जशुः ३०३ ४१२. चेचीयते ११७ ४३८. जज्ञे ३०३ ४१३. चेता १५३, ३९८ ४३९. जनयति ४१४. चेषीढ्वम् ४६२ ४४०. जम्भयति २०० चेष्यति ३९८४४१. जरयति ४१६. छाययति ___२६६ ४४२. जह! ४२३ ४१७. छिन्द्धकि |४४३. जहि ४१८. छिन्द्धि २०६/४४४. जह्यात् ८० ४१९. छेत्ता १५५, ४०५/४४५. जह्याताम् ४२०. छोप्ता ४०८ ४४६. जह्युः ४२१. जक्षतुः १३०, ३०३,४७४|४४७. जागरयति २५४ ४२२. जक्षितः | ४४८. जागर्य्यते २५५ ४२३. जक्षिति |४४९. जागर्यात् २५५ ४२४. जक्षुः | ४५०. जाग्रति २१० ४२५. जग्मतुः ३०२, ४८१) ४५१. जाग्रतु २१० ४२६. जग्मुः ४५२. जानाति ३५२ ४२७. जग्रहिथ १२ ४५३. जापयति ४२८. जग्राह १२| ४५४. जायते ३५२ ४२९. जघान | ४५५. जिगमिषति १३९,३८५ जघास १३०/४५६. जिगरिषति ३९४ जघ्नतुः ३०३ ४५७. जिगमिषा ३८५ ४३२. जघ्नुः ३०३ ४५८. जिगमिषितव्यम् ३८६ ४३३. जङ्घन्यते २८१ ४५९. जिगमिषुः ४३४. जजागरतुः २५६ ४६०. जिगाय ३५. जजागरु: २५६ ४६१. जिगीषति २८२ ४३६. जज्ञतुः ३०३४६२. जिघत्सति १२९, ३६३,४१२ ___ < ४८ ४३०. ४३१. ३८६ २८२ <

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