Book Title: Karma Siddhanta
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Jinendravarni Granthamala Panipat

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Page 12
________________ 'मैं चेतन हूँ, जानना देखना मेरा कर्तव्य है' ऐसा निर्णय न करना तथा अपने कर्तव्य-क्षेत्र का उल्लंघन करके अन्य पदार्थों के साथ स्वामित्व सम्बन्ध जोड़ना, उनमें अहंकार ममकार करना, उनको अपने लिए इष्ट या अनिष्ट समझना तथा आसक्त-चित हुआ उनमें वर्तन करना, ये सब आध्यात्मिक अपराध हैं, अत: बन्य के कारण हैं, विकास के विरोधी हैं। ऐसे भावों को प्रकट न होने देने में ही कर्म-बन्धन से मुक्त होने की साधना निहित है। ऐसी तात्त्विक दृष्टि प्रदान करने वाले 'जिनेन्द्र भगवान् हम सबको बल दें कि हम भी उनकी भाँति कमों का उन्मूलन कर अर्हन्त पद को प्राप्त हो सकें, इस महा सलिल से ऊपर उठकर, संसार सागर से पार हो सकें।

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