Book Title: Karm Ki Gati Nyari Part 02 03 04 Author(s): Arunvijay Publisher: ZZZ UnknownPage 92
________________ क्यों आप द्रविड प्राणायाम करते हैं ? संसार में त्रस-स्थावर विकलेन्द्रिय-सकलेन्द्रिय देव-नारक-तिर्यंच-मनुष्यादि विचित्रता तथा सुख-दुःखादि की विषमतां स्वयं जीवों के द्वारा उपार्जित कर्मानुसार है यह स्वीकारने में बहुत ज्यादा सरलता है। अतः आप सर्वज्ञता से सृष्टिकर्तृत्व या सृष्टि कर्तृत्व से सर्वज्ञता सिद्ध करने का बालिश प्रयत्न न करें। चूंकि कोई एक दूसरे का अन्यथासिद्ध नियतपूर्ववर्ती शरण नहीं है। न ही ये जन्य जनक है। अन्यथा बुद्ध-महावीरादि कई सर्वज्ञों को सृष्टिकर्ता स्वीकारना पड़ेगा, तो फिर ऐसे सर्वज्ञ कितने हुए हैं ?-उत्तर में संख्या अनन्त की है। तो क्या आप अनन्त सर्वज्ञों को सृष्टिकर्ता मानेंगे ? तो फिर आपका एकत्व पक्ष चला जाएगा। अच्छा यदि हमारी तरह संसार को अनादि-अनन्त और जड़चेतन, संयोग-वियोगात्मक या जीव-कर्म संयोग-विरोगजन्य मान लो तो क्या तकलीफ है ? चूंकि अनादि संसार में जड़ और चेतन ये दो ही मूलभूत द्रव्य हैं। इन्हीं की सत्ता है। इन्हीं का अस्तित्व है । चेतन को ही जीव कहते हैं। और जड़ का एक अंश कार्मण वर्गणा के पुद्गल परमाणु है। उन पुद्गल परमाणुओं वाली कार्मण वर्गणा को जीव राग-द्वेषादि कारण से अपने में खींचता है। उसे कर्म रूप में परिणत करता है। जैसे चुम्बक में चुम्बकीय शक्ति है। मूलभूत पड़ी ही है। चूंकि. वस्तु अनन्त धर्मात्मक है। उसी तरह चेतन अात्मा में भी रागादि भाव पदार्थ निमित्तक है। अतः वह आकर्षित करता है। उससे कार्मण वर्गणा आत्म संयोगी बनकर कर्म बनती है । जीव के साथ कर्म का संयोग-वियोग ही सष्टि की वैचिन्यता का सही कारण है ऐसा मानना उचित है । दूसरी तरफ पाप यदि ईश्वर को सृष्टि के वैचित्र्य का कारण मानोगे तो भी आवश्यक उपकरणों के रूप में जीव और कर्म का अस्तित्व प्रथम स्वीकारना ही पड़ेगा । क्योंकि आवश्यक उपकरणों के अभाव में ईश्वर सष्टि की रचना कैसे कर सकेगा ? जैसे एक कुम्हार घड़ा बनाता है तो मिट्टी-पानी, अग्नि, दण्ड-चक्र आदि आवश्यक उपकरण उपस्थित हो तो ही बना सकता है। यदि ये उपकरण न हो तो कुम्हार घड़ा कैसे बनाए ? साधन के बिना बनाए किससे ? एक रसोईया रसवती बनाने में काफी कुशल है । सारी जानकारी अच्छी है। परन्तु सामग्री के अभाव में अच्छी रसोई कैसे बना सकेगा ? वैसे ही आपके कथनानुसार मान लिया कि ईश्वर सर्वज्ञ है। सष्टि रचना एवं वैचित्र्यादि के निर्माण का पूरा ज्ञान ईश्वर को है । अत: वह सृष्टि निर्माण करने में समर्थ हैं। परन्तु हमारा यह पूछना है कि क्या समर्थ ईश्वर भी आवश्यक सामग्री के अभाव में भी सृष्टि निर्माण कर सकेगा ? जो आवश्यक उपकरण चाहिए उसके बिना ईश्वर सृष्टि कैसे बना पाएगा? घड़ा बनाने के लिए जैसे मिट्टी, पानी अादि सामग्री की आवश्यकता है। रसोई बनाने कर्म की गति न्यारी ६१Page Navigation
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