Book Title: Karm Ki Gati Nyari Part 02 03 04
Author(s): Arunvijay
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 129
________________ प्रभा avinas १२८ अधकार आलभ मधुर तुरा • काला • हरा तिक्त लाल • 1 अन्धकार - अन्धेरा, रात्रि का अन्धेरा या जहां प्रकाश नहीं पहुँचता ऐसे तलवर का अन्धेरा आदि । अन्धेरा अन्धकार जो दिखाई देता है यह भी पौद्गलिक है । नैयायिकों की तरह तेज का प्रभाव तम नहीं है । यह अन्धेरा भी स्वतन्त्र पुद्गल परिणाम विशेष है । प्रभा - सूर्योदय के पूर्व अरूणोदय का प्रकाश पोफटन के पूर्व का प्रत्यूष प्रकाश जवकि किरणें नहीं निकली है वह प्रकाश प्रभा कहलाता है । या मकान में धूप न आती है. वह उप प्रकाश भी प्रभा है । तथा रत्नक्रांति, तेज आदि पौद्गलिक प्रभा है । वर्ण पीला श्रातप- सूर्य की सीधी धूप को प्रातप कहते हैं | अथवा सूर्यकांत मणि एवं सूर्य के उष्ण प्रकाश को प्रातप कहते हैं । खट्टा • सफेद रस गंध दुर्गंध कोमल स्पर्श वर्ण-गंध-रस-स्पर्शादि सुगंध कठोर उष्ण स्निग्ध कर्म की गति न्यारी

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