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प्रभा
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अधकार
आलभ
मधुर
तुरा
• काला • हरा
तिक्त
लाल
•
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अन्धकार - अन्धेरा, रात्रि का अन्धेरा या जहां प्रकाश नहीं पहुँचता ऐसे तलवर का अन्धेरा आदि । अन्धेरा अन्धकार जो दिखाई देता है यह भी पौद्गलिक है । नैयायिकों की तरह तेज का प्रभाव तम नहीं है । यह अन्धेरा भी स्वतन्त्र पुद्गल परिणाम विशेष है ।
प्रभा - सूर्योदय के पूर्व अरूणोदय का प्रकाश पोफटन के पूर्व का प्रत्यूष प्रकाश जवकि किरणें नहीं निकली है वह प्रकाश प्रभा कहलाता है । या मकान में धूप न आती है. वह उप प्रकाश भी प्रभा है । तथा रत्नक्रांति, तेज आदि पौद्गलिक प्रभा है ।
वर्ण
पीला
श्रातप- सूर्य की सीधी धूप को प्रातप कहते हैं | अथवा सूर्यकांत मणि एवं सूर्य के उष्ण प्रकाश को प्रातप कहते हैं ।
खट्टा
• सफेद
रस
गंध
दुर्गंध
कोमल
स्पर्श
वर्ण-गंध-रस-स्पर्शादि
सुगंध
कठोर
उष्ण
स्निग्ध
कर्म की गति न्यारी