Book Title: Kaise Jiye Madhur Jivan Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha FoundationPage 15
________________ है। वह दिन, दिन नहीं अपितु ईश्वर के घर से मिला हुआ स्वर्ण-मुकुट है। मेरी समझ से तो हमें मिलने वाले हर क्षण का उतना ही मूल्य है जितना कि सोने के कणों का हुआ करता है। हो सकता है कि जो दिन हमें आज मिला है, वह मृत्यु का दिन भी हो सकता था, लेकिन आज का दिन हमें जीवन का दिन मिला है। शुक्रिया अदा करें जीवन के हर दिन के लिए। अपने हर दिन की शुरूआत इतने स्वस्थ और प्रसन्न मन के साथ की जाए कि दिन, दिन नहीं अपितु ईश्वर की ओर से मिला हुआ वरदान बन जाए। जब भी सुबह आँखें खुलें तो आँखें खुलते ही इतने प्रसन्न हो जाएँ, इतने स्वस्थ मन से अपने दिन की शुरूआत करें कि ऐसा लगे जैसे आँख नहीं खुली है वरन् जीवन की दहलीज पर पुनः जीवन ही मिला है। रात को सोए थे, सुबह उठ गए, यह क्या कम मामूली बात है? बहुत लोग सोते हैं तो सोये के सोये ही रह जाते हैं। हमें जीवन मिल गया, यह क्या कम उपहार है? अच्छा होगा कि आज जो दिन मिला है, उसकी खुशी मनाई जाए। . तुम खुशी मनाते हो साल में दो-चार दिन जब बर्थ-डे आती है या होली-दीवाली आती है। आज का दिन बर्थ-डे का दिन है जो हमें फिर मिला है। तुम जितने खुश हो सकते हो उतने खुश हो जाओ। अच्छा होगा, तुम एक प्रयोग कर ही डालो। आँख खुलते ही अपनी हर सुबह को ईद की तरह प्रेमपूर्वक बनाओ। हर दोपहर को होली की तरह खुशनुमा बनाओ। हर साँझ को दीवाली का सुकून प्राप्त करो। जीवन को ऐसी शांति, मिठास और हर हाल में खुश रहने की कला दो। शुरूआत करें हर दिन की स्वस्थ शुरूआत से। मुस्कुराओ, हर हाल में मुस्कुराओ क्योंकि सौ रोगों की एक दवा मुस्कान ही तो होती है। ___कुछ पल तबियत से मुस्कुराओ। हँसी-ठट्ठा नहीं, केवल मुस्कान। तन-मन में प्रसन्नता का संचार। मानो गुलाब का फूल खिल रहा हो। ऐसी खिलावट हो। पूरे तन-मन में प्रफुल्लता आ जाए। आपके शरीर के हर रेशे में, रक्त के हर कतरे में सुख व सुकून फैल जाए। यह अद्भुत कैसे जिएँ मधुर जीवन १० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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